देहरादून – उत्तराखंड में ततैया के हमले की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे वन विभाग में चिंता का माहौल है। हाल ही में घटित घटनाओं के बाद वन मुख्यालय ने इस बढ़ते खतरे के कारणों की जांच के लिए कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है और विशेषज्ञों की मदद लेने का निर्णय लिया है।
गढ़वाल मंडल में 9 नवंबर को उत्तरकाशी जिले के मांडिया गांव में स्कूल से घर लौट रहे भाई-बहन पर ततैयों ने हमला कर दिया। इस हमले में चार साल के बच्चे की मौत हो गई, जबकि उसकी बड़ी बहन घायल हो गई। उसी दिन टिहरी जनपद के जौनपुर ब्लॉक के रियाट गांव में एक परिवार के तीन सदस्य पशु चराने गए थे, जहां ततैयों के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए। महिला ने झाड़ियों में छिपकर अपनी जान बचाई।
इसके अलावा, 3 नवंबर को नेपाल के बैतड़ी जिले के पास बजांग थलारा गांवपालिका डोर गांव में भी ततैयों के हमले में दो बच्चों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। इन लगातार घटनाओं ने वन विभाग को गहरी चिंता में डाल दिया है।
अपर प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव विवेक पांडे ने बताया कि वन विभाग ने पिछले दो-तीन वर्षों में ऐसे हमलों के कारणों की पूरी जानकारी एकत्र करने के लिए अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। वे यह जानना चाहते हैं कि ये घटनाएं कहाँ और कब हुईं, इनसे कितने लोग प्रभावित हुए, और इसके क्या कारण थे। इसके साथ ही, विशेषज्ञों से भी इस समस्या को सुलझाने के लिए मदद ली जाएगी।
मनोज चंद्रन मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि ततैयों के हमले से शरीर में हिस्टामिन उत्पन्न होता है, जिससे गंभीर प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। यदि ततैया के काटने के तुरंत बाद उपचार मिल जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है, लेकिन अधिक हिस्टामिन उत्पन्न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों में ततैया के हमलों का अधिक असर होता है, क्योंकि उनका शरीर छोटे आकार का होता है।
वन विभाग का कहना है कि अगर ततैया के छत्ते को नुकसान पहुंचता है या किसी प्रकार का खतरा महसूस होता है, तो ततैया किसी भी हिलती वस्तु पर हमला कर सकते हैं। इसे लेकर प्रशासन जल्द ही उचित कदम उठाने की योजना बना रहा है।
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