रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे जंगली जानवरों के हमले से स्थानीय लोगों में चिंता और आक्रोश बढ़ा गया है। पिछले कुछ समय में हुई घटनाओं में जंगली जानवरों के हमले में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। साथ ही इन घटनाओं में घायल होने वाले लोगों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं।
आधुनिक उपकरणों के लिए धनराशि मंजूर
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने 50 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि आवंटित की है। ये राशि विशेष रूप से वन विभाग द्वारा खरीदे जाने वाले आधुनिक उपकरणों के लिए इस्तेमाल की जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा कि इन उपकरणों से जंगली जानवरों की गतिविधियों पर रियल-टाइम निगरानी रखी जा सकेगी और हमलों की घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी।
कौन-कौन से उपकरण खरीदे जाएंगे?
जिले में सुरक्षा उपायों को प्रभावी बनाने के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों में शामिल हैं
- थर्मल ड्रोन – रात और कम दृश्यता में निगरानी के लिए
- फॉक्स लाइट – जंगली जानवरों को भटकाने के लिए
- ट्रैंक्विलाइज गन – सुरक्षित रेस्क्यू के लिए
- आधुनिक पिंजरे और सुरक्षा सामग्री – संवेदनशील क्षेत्रों में इस्तेमाल के लिए
प्रभागीय वनाधिकारी रजत सुमन ने बताया कि हाल के दिनों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि दर्ज की गई है। इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने नई उपकरणों की आवश्यकता की सिफारिश की थी, जिस पर 28 नवंबर 2025 को जिलाधिकारी ने तत्काल स्वीकृति दे दी।
उपकरणों के इस्तेमाल से कैसे मिलेगा फायदा
इन आधुनिक उपकरणों के उपयोग से जंगली जानवरों की गतिविधियों को रीयल-टाइम ट्रैक किया जा सकेगा। इसके अलावा
- प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाएगी
- अलर्ट सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा
- रेस्क्यू कार्यों की कार्यक्षमता को हाईली एफिशिएंट बनाया जाएगा
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने बताया कि प्रशासन संबंधित विभागों से लगातार रिपोर्ट ले रहा है, ताकि सुरक्षा उपायों को लगातार अपडेट किया जा सके।
नागरिकों के लिए सुरक्षा और जागरूकता
जिला प्रशासन ने स्थानीय नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, अफवाहों से बचें, किसी भी जंगली जानवरों से संबंधित घटना की तुरंत सूचना दें। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे और लोगों को सुरक्षा निर्देशों की जानकारी नियमित दी जाएगी।
जिला प्रशासन और वन विभाग की संयुक्त योजना का उद्देश्य है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रण में लाकर स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।




