Diwali: आज, 01 नवंबर, 2024 को कार्तिक माह की अमावस्या है। इस वर्ष यह विशेष स्थिति है कि कार्तिक अमावस्या दो दिन मनाई जा रही है। 31 अक्तूबर को भी इस दिन का महत्व था, और देश के अधिकांश हिस्सों में दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। कुछ स्थानों पर आज भी लक्ष्मी पूजन का आयोजन हो रहा है।
लक्ष्मी पूजन का महत्व
कार्तिक माह की अमावस्या पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तभी से हर साल इस तिथि पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का इतिहास मार्केंडेय पुराण में भी वर्णित है, जहां बताया गया है कि जब धरती पर चारों तरफ अंधेरा था, तब मां लक्ष्मी ने तेज प्रकाश के साथ प्रकट होकर अंधकार को दूर किया था।
लक्ष्मी पूजा की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व अत्यधिक है। यहां लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण विधि का उल्लेख किया जा रहा है:
1. साफ-सफाई:
- दिवाली से पहले घर की अच्छी तरह सफाई करें। विशेष रूप से पूजा स्थान को पवित्र बनाएं।
- घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करें, जिससे वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाए।
2. रंगोली और तोरण:
- घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाएं और तोरण द्वार स्थापित करें।
- दरवाजे के दोनों हिस्सों में स्वास्तिक और शुभ-लाभ के चिन्ह बनाएं।
3. पूजा स्थान की तैयारी:
- शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें।
- चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और दाहिने तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति रखें।
- जल से भरा कलश भी चौकी पर रखें।
4. पूजन सामग्री और संकल्प:
- सभी पूजन सामग्री के साथ आसान पर बैठें और चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लें।
- सबसे पहले गणेश की पूजा करें और उन्हें पुष्प, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित करें।
5. मां लक्ष्मी की पूजा:
- गणेश की पूजा के बाद मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी पूजन सामग्री भेंट करें।
- इसके बाद कुबेर देवता और मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करें।
6. आरती और दीप जलाना:
- पूजा के बाद परिवार के सभी लोग महालक्ष्मी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- आरती और मंत्र जाप के बाद दीपक जलाएं और घर के हर हिस्से में रखें।
7. तिजोरी और बहीखाते की पूजा:
- महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की भी पूजा करें।
- इसके अलावा, दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करें और उन्हें धूप और भोग अर्पित करें।
पूजा मंत्र
भगवान गणेश का आवाहन मंत्र:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः।
शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 05:36 से 06:16 (अवधि 41 मिनट)
प्रदोष काल: 05:36 से 08:11
वृषभ काल: 06:20 से 08:15
दिवाली 2024 – अमावस्या तिथि:
अमावस्या प्रारंभ: 31 अक्तूबर को 03:52 बजे।
अमावस्या समाप्त: 01 नवंबर को 06:16 बजे तक।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): 06:33 से 10:42 तक
अपराह्न मुहूर्त (चर): 04:13 से 05:36 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ): 12:04 से 01:27 तक
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