
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिन्हें हिन्दुत्व के पुनर्जागरण अभियान की मजबूत कड़ी माना जा रहा है। हाल ही में उन्होंने ऑपरेशन कालनेमि, धर्मांतरण विरोधी संशोधित कानून और मदरसा बोर्ड को समाप्त करने जैसे बड़े कदम उठाए हैं। इन फैसलों को भाजपा शासित राज्यों के लिए एक नए गवर्नेंस मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है।
ऑपरेशन कालनेमि
मुख्यमंत्री के निर्देश पर चल रहे इस अभियान के तहत अब तक 4 हजार से ज्यादा संदिग्ध लोगों का सत्यापन किया जा चुका है। इनमें से 300 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं, जिनमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है। हरिद्वार में अकेले 162 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। देहरादून में धार्मिक वेशभूषा में छिपे एक बांग्लादेशी की गिरफ्तारी ने अभियान की गंभीरता को और पुख्ता किया है। स्थानीय जनता इस कार्रवाई को सनातन आस्था की सुरक्षा से जोड़कर देख रही है।
अवैध धर्मांतरण पर शिकंजा
धामी सरकार ने विधानसभा से उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पास करवा लिया है। नए कानून के तहत लालच, नौकरी, उपहार, शादी या भय दिखाकर धर्म परिवर्तन कराने वालों को अब 3 साल से लेकर 20 साल तक की सजा और लाखों रुपये जुर्माना भुगतना होगा। सामूहिक धर्मांतरण और महिला, बच्चे या कमजोर वर्ग को निशाना बनाने पर सजा और भी सख्त होगी।
मदरसा बोर्ड का अंत, अल्पसंख्यक संस्थानों को नया ढांचा
गैरसैंण सत्र में पास हुए उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक, 2025 के तहत अब मुस्लिम समाज का एकाधिकार खत्म कर, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के संस्थानों को भी अल्पसंख्यक दर्जा मिलेगा। इसी के साथ सरकार ने जुलाई 2026 से मदरसा बोर्ड और उससे जुड़े नियमों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके स्थान पर राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण बनाया जाएगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि धामी सरकार के ये कदम न केवल प्रदेश की पहचान बदलेंगे, बल्कि आने वाले समय में हिंदुत्व आधारित गवर्नेंस मॉडल के तौर पर अन्य राज्यों के लिए मिसाल भी बन सकते हैं।



