देहरादून: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उत्तराखंड में SC-ST छात्रवृत्ति घोटाले की जांच को आगे बढ़ाते हुए राज्य के एक निजी विश्वविद्यालय को मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में नोटिस जारी किया है। ED ने विश्वविद्यालय के शीर्ष पदाधिकारियों को 10 दिनों के अंदर उपस्थित होकर आवश्यक दस्तावेज और अपना पक्ष सामने रखने के निर्देश दिए हैं।
चार्जशीट में शिक्षा संस्थानों और विभागीय अधिकारियों के नाम शामिल
जांच एजेंसी ने कुछ महीने पहले विशेष पीएमएलए कोर्ट में इस मामले से जुड़ी चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में देहरादून के कई निजी शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इन पर छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।
फर्जी एड्मिशन के सहारे SC-ST छात्रवृत्ति घोटाले को दिया जा रहा अंजाम
ED की जांच में सामने आया कि वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच कुछ संस्थानों ने SC-ST छात्रों के नाम पर कथित तौर पर फर्जी दाखिले दिखाकर छात्रवृत्ति की राशि प्राप्त की। अब तक दो आरोपियों की करोड़ों रुपये की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं।
ये मामला हरिद्वार में दर्ज एक FIR के बाद सुर्खियों में आया, जिसके आधार पर एजेंसी ने वित्तीय दस्तावेजों, नामांकन प्रक्रिया और छात्रवृत्ति वितरण से जुड़े रिकॉर्ड की गहन जांच शुरू की।

निजी विश्वविद्यालय को रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश
ईडी द्वारा जारी नोटिस में संबंधित विश्वविद्यालय से सभी दस्तावेज, दाखिला विवरण, फीस रिकॉर्ड और छात्रवृत्ति से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा गया है। एजेंसी का कहना है कि छात्रवृत्ति वितरण में संदिग्ध लेन-देन की पुष्टि के लिए विस्तृत जांच जरूरी है।
“जांच में पूरा सहयोग देंगे” — विश्वविद्यालय प्रबंधन
नोटिस मिलने पर विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से कहा गया कि
“हमें जांच एजेंसी की ओर से नोटिस प्राप्त हुआ है। मांगी गई सभी जानकारियाँ निर्धारित समय के भीतर उपलब्ध करा दी जाएंगी। यह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और हम जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे।”
इस घोटाले से जुड़े मामलों की जांच पहले से जारी थी, लेकिन ईडी की सक्रियता के बाद जांच की रफ्तार तेज हो गई है। माना जा रहा है कि वित्तीय लेन-देन, लाभार्थी छात्रों के दस्तावेज और संस्थागत प्रक्रियाओं की गहराई से जांच की जाएगी।
राज्य के शिक्षा क्षेत्र में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, और सभी की नजरें एजेंसी की आगामी कार्रवाइयों पर टिकी हैं।




