राजस्थान/जैसलमेर – 13 जनवरी को पोखरण फील्ड रेंज में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी नाग मिसाइल Mk 2 का सफल परीक्षण किया। नाग Mk 2 एक तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइल है, जो ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है। इस तकनीक का मतलब है कि एक बार निशाना लगाने के बाद, मिसाइल अपने आप लक्ष्य को तबाह कर देती है।
भारत की सेना के लिए तैयार है नाग Mk 2
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि तीनों परीक्षणों के दौरान मिसाइल प्रणालियों ने अधिकतम और न्यूनतम सीमा के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट किया, जिससे मिसाइल की लक्ष्य भेदने की क्षमता की पुष्टि हो गई। नाग मिसाइल वाहक संस्करण-2 का भी वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण किया गया, और अब यह पूरी हथियार प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
300 करोड़ की लागत से विकसित
नाग मिसाइल को DRDO ने 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है। इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था, और इसके बाद से कई बार इसके परीक्षण हुए हैं। जुलाई 2019 में पोखरण फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया था, और 2017, 2018, और 2019 में भी इसे नई तकनीकों के साथ अपडेट किया गया। यह मिसाइल DRDO के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है और दुश्मन के टैंकों के खिलाफ भारत की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी।
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