देहरादून – भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, वन और वृक्ष आवरण में कमी देखी जा रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व्स जैसे कि कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में वन आवरण में कमी आई है। यह विशेष रूप से तब चिंता का कारण बनता है जब यह क्षेत्र संरक्षित इलाके हैं, जहां सुरक्षा और नियमों का कड़ा पालन किया जाता है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व में सबसे बड़ी आग की रिपोर्ट
भारत के सबसे बड़े बाघों के घनत्व वाले कार्बेट टाइगर रिजर्व में 260 बाघों का आकलन किया गया है, लेकिन यहां वन और वृक्ष आवरण में 38 हेक्टेयर की कमी आई है। इसके अलावा, कार्बेट टाइगर रिजर्व में जंगलों में लगी आग के सबसे बड़े मामलों में से एक भी रिपोर्ट किया गया है, जिससे यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
राजाजी और कालागढ़ में भी कमी
राजाजी टाइगर रिजर्व में जहां 54 बाघों की मौजूदगी बताई गई है, वहां भी 98 हेक्टेयर वन और वृक्ष आवरण में कमी आई है। इसी तरह कालागढ़ टाइगर रिजर्व में चार हेक्टेयर, और उसके बफर जोन में आठ हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्ष आवरण घटा है।
अन्य क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक
देशभर में अन्य जंगलों और टाइगर रिजर्व्स में भी समान स्थिति देखने को मिल रही है। नंदादेवी बायोस्फीयर, गोविंद नेशनल पार्क, गोविंद वाइल्ड लाइफ अभयारण्य, केदारनाथ वाइल्ड लाइफ अभयारण्य जैसे क्षेत्रों में भी वन आवरण में भारी कमी आई है।
कुछ इलाकों में सुधार भी हुआ
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सुधार भी हुआ है। कार्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में 37 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वृक्ष आवरण में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, अल्मोड़ा, चकराता और तराई पूर्वी जैसे क्षेत्रों में भी वृक्ष आवरण में बढ़ोतरी देखी गई है।
जंगलों की आग की बढ़ती घटनाएं
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने यह भी रिपोर्ट किया है कि देशभर के टाइगर रिजर्व्स में 12 बड़े जंगल की आग के मामले सामने आए हैं। इनमें से कुछ आग चार से पांच दिनों तक जलती रही, जिससे वन्यजीवों और वन आवरण को गंभीर नुकसान हुआ है।
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