आगरा – उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में, सहायक शिक्षिका का जीवन एक सामान्य दिन पर अचानक बदल गया। उन्हें एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा, “आपकी बेटी एक सेक्स स्कैंडल में पकड़ी गई है। उसे गिरफ्तार किया जा रहा है। अगर आप उसे बचाना चाहती हैं, तो 15 मिनट में एक लाख रुपये हमारे खाते में ट्रांसफर करें।”
यह सुनकर शिक्षिका का दिल धड़कने लगा। उन्होंने घबराकर पूछा, “क्या सच में मेरी बेटी?” लेकिन कॉलर ने धमकाते हुए कहा, “अगर आप जल्दी नहीं करेंगी, तो आपकी बेटी जेल चली जाएगी।”
चार घंटे तक यह डिजिटल गिरफ्तारी का खेल चलता रहा। अपराधी लगातार गलत जानकारी देकर उन्हें मानसिक प्रताड़ना देते रहे। उन्होंने बेटी की आवाज सुनाते हुए कहा, “मां, मुझे बचा लो,” जिससे मालती का मानसिक संतुलन बिगड़ गया।
शिक्षिका जानती थीं कि अगर उनकी बेटी को कुछ हुआ, तो वह खुद को कभी माफ नहीं कर पाएंगी। इन चार घंटों में वह न केवल डरी, बल्कि पूरी तरह से घबराई हुई थीं। अंततः, जब कॉल खत्म हुआ, तो वह तेजी से घर लौट आईं।
लेकिन घर पहुँचते ही उनकी हालत बिगड़ गई। सीने में तेज दर्द के चलते परिवार वालों ने तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
यह घटना न केवल एक दुखद कहानी है, बल्कि यह हमें डिजिटल गिरफ्तारी के खतरों के प्रति जागरूक करती है। साइबर अपराधियों द्वारा किए जाने वाले इस प्रकार के फरेब का न केवल वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
ऐसे होता है डिजिटल अरेस्ट
साइबर अपराधी अक्सर पीड़ित को वॉइस या वीडियो कॉल करके फंसाते हैं। वे पुलिस अधिकारी की फर्जी तस्वीर लगाते हैं और गलत जानकारी देकर गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं। कॉल करने वाले अक्सर इंटरनेट कॉलिंग का सहारा लेते हैं, जिससे उनकी पहचान छुपी रहती है। सेवानिवृत्त अफसर, कर्मचारी, और वरिष्ठ नागरिक ऐसे अपराधियों के निशाने पर रहते हैं।
सावधानियाँ
1. अनजान नंबर से कॉल: अगर कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी बनकर धमकाता है, तो तुरंत कॉल कट करें और पुलिस को सूचित करें।
2. डिजिटल अरेस्ट नहीं होती: पुलिस कभी भी फोन कॉल करके या धमकाकर किसी को गिरफ्तार नहीं करती।
3. सावधान रहें: अगर कोई व्यक्ति कहता है कि आपका बेटा या बेटी गिरफ्तार हो गया है, तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को कॉल करें।
4. अनजान लिंक पर न जाएँ: अनजान नंबर से आए वीडियो या ऑडियो कॉल को नजरअंदाज करें और बैंक या ओटीपी की जानकारी न दें।
मदद के लिए संपर्क करें
डीसीपी सिटी सूरज राय ने कहा है कि आगरा में साइबर अपराध के बचाव के लिए सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। किसी भी प्रकार के साइबर अपराध की सूचना टोल फ्री नंबर 1930 पर या [cybercrime.gov.in](https://cybercrime.gov.in/) पर शिकायत कर सकते हैं।
सहायक शिक्षिका की कहानी हमें एक कठोर सच बताती है—हमें अपने और अपने परिवार के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए। साइबर सुरक्षा को नजरअंदाज करना हमें भारी पड़ सकता है।
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