विशेष रिपोर्ट (एसएस तोमर) – उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर ने सपा, बसपा और कांग्रेस को बुरी तरह से रौंदा। सभी 17 मेयर के चुनाव पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप मारी है। जबकि नगर पंचायत और नगर पालिका के नतीजे भी करीब-करीब ऐसे ही आ रहे हैं।
ऐसे में उत्तर प्रदेश में जहां मिठाई बांटकर भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं ने खुशी का इजहार किया, वही उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड भाजपा प्रदेश कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। यह हाल तब है जब भाजपा हर छोटी-छोटी खुशी को सेलिब्रेट करती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उत्तराखंड भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं को सीएम योगी की जीत रास नहीं आई, या फिर कर्नाटक चुनाव नतीजे के गम में सदमे की जद में आ गए। कार्यकर्ताओं से गुलजार रहने वाली बीजेपी प्रदेश कार्यालय की तस्वीर सन्नाटे में कैद तो हो गई, लेकिन अपने पीछे गंभीर और बड़े सवाल छोड़ कर चली गई। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड बीजेपी को मोदी और अमित शाह का गम ज्यादा और योगी आदित्यनाथ की खुश कम दिखाई देती है, जबकि दिल्ली का दरवाजा उत्तर प्रदेश से ही खुलकर जाता है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं और यही राज्य केंद्र में सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। उत्तराखंड बीजेपी का यह हाल तब है जब सीएम योगी आदित्यनाथ मूल रूप से उत्तराखंड के ही रहने वाले है।
पहले आप जरा बीजेपी प्रदेश कार्यालय के इस वीडियो को देखिए।
कर्नाटक चुनाव परिणाम में हुई बीजेपी की करारी हार के गम ने उत्तराखंड बीजेपी को इतने सदमे में पहुंचाया कि वह प्रदेश कार्यालय में सीएम योगी आदित्यनाथ की खुशी में शरीक ही नहीं हो पाए।