देहरादून – उत्तराखण्ड में निराश्रित गोवंशीय पशुओं को गोद लेने वालों को मिलने वाला मानदेय देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है, जो कि प्रतिदिन 80 रुपये प्रति पशु है। इस फैसले के बावजूद, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शहरी विकास सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे नगर पालिकाओं द्वारा शहरी क्षेत्रों में सड़कों पर पाए जाने वाले निराश्रित गौवंशीय पशुओं की संख्या की समीक्षा करें और उन्हें गौसदनों में भेजने की पुख्ता व्यवस्था करें।
गौसदनों का निर्माण कार्य तेज़ी से जारी
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड एनिमल वेल्फेयर बोर्ड की बैठक में शहरी विकास विभाग को निर्देशित किया कि राज्य के 13 जिलों में 36 गौसदनों का निर्माण जल्द पूरा किया जाए। इसके अलावा, पंचायती राज विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में 26 गौसदनों के निर्माण कार्य को शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए 10 करोड़ रुपये की धनराशि पहले ही जारी की जा चुकी है।
जियोटैगिंग और तकनीकी समाधान की ओर कदम
मुख्य सचिव ने बेसहारा गोवंशीय पशुओं की समस्या के समाधान के लिए आधुनिक तकनीकी और आईटी का इस्तेमाल करने पर बल दिया। उन्होंने राज्य के सभी गौवंशीय पशुओं की अनिवार्य जियोटैगिंग करने और जल्द लॉन्च होने वाले ऐप एवं डैशबोर्ड के माध्यम से उनके आयु, चिकित्सा और अन्य जानकारियों के डाटा एनालिसिस करने के निर्देश दिए हैं।
गौसदनों के संचालन की निगरानी और गौसेवक योजना का विस्तार
मुख्य सचिव ने गौसदनों के संचालन और रखरखाव की निरंतर मॉनिटरिंग करने की हिदायत दी है। इसके साथ ही, गौसदनों में गौवंश के लिए चारा, भूसा, चिकित्सा, सुरक्षा और दवाइयों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। उत्तराखण्ड पशु कल्याण बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में वर्तमान में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की संख्या 20,887 है।
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