दूल्हा नहीं बैंड-बाजा बारात लेकर दुल्हन पहुंची ससुराल, क्या आपने देखा ऐसा विवाह

शादी में आमतौर पर दूल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है। लेकिन उत्तराखंड से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने इस शादी को चर्चाओं का विषय बना दिया। दरअसल उत्तरकाशी जिले में एक दुल्हन बैंडबाजा बारात लेकर बारातियों के साथ दूल्हे के घर पहुंची।

दूल्हा नहीं बैंड-बाजा बारात लेकर दुल्हन पहुंची ससुराल

क्या आपने कभी ऐसी शादी देखी जहां बारात लेकर दूल्हा नहीं दुल्हन अपने सुसराल पहुंची हो। अगर आप ऐसा देखें तो आपका क्या रिएक्शन होगा जरूर आप भी हैरान हो जाएंगे। लेकिन ये सच है उत्तराखंड और हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में ऐसा होता है।

उत्तरकाशी में दुल्हन दूल्हे के घर ले गई बारात 

उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी और हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में बसे कई गांवों में सालों से ये परंपरा चलती आ रही है। यहां पर दुल्हन बारातियों के साथ दूल्हे के घर पहुंचती है। इन गावों में ऐसी परंपरा है कि दुल्हन फेरे और जयमाला से पहले ही दूल्हे की गैरमौजूदगी में अपने घर यानी कि मायके से विदा होती है।

आमतौर पर जैसे दूल्हा बारात लेकर अपने ससुराल पहुंचता है वैसे ही यहां पर दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। खास बात ये है कि दुल्हन एक या दो लोगों के साथ नहीं बल्कि 100 से भी ज्यादा लोगों के साथ दूल्हे के घर पहुंचती है। इसके साथ ही जिस तरीके से आम शादियों में दूल्हे और बारातियों का स्वागत होता है तो वहीं इन गांवों में बिल्कुल ऐसे ही दुल्हन का स्वागत होता है।

सालों पुरानी है ‘जोजोड़ा’ विवाह परंपरा 

आपको बता दें कि इस तरह के विवाह की परंपरा को जोजोड़ा विवाह कहा जाता है। जो ना केवल उत्तरकाशी बल्कि हिमाचल प्रदेश के भी कई गावों में होता है। जोजोड़ा विवाह का मतलब है जो जोड़ा भगवान खुद बनाते हैं। इस तरीके के विवाह में दुल्हन के साथ आने वाले लोगों को बाराती ना कहकर जोजोड़िये कहा जाता है।

बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ ना पड़े ये है उद्देश्य 

इस परंपरा को यूं ही नहीं बनाया गया बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा उद्देश्य है। इन गांवों में ऐसा इसिलए किया जाता है ताकि बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ न पड़े। दशकों पहले इस परंपरा को इसी लिए शुरू किया गया था। लेकिन अब ये परंपरा ज्यादातर गांवों से लगभग लुप्त हो गई है। लेकिन कुछ गांव आज भी ऐसे हैं जहां पर इस परंपरा को निभाया जाता है।

कविता और मनोज की शादी बनी चर्चाओं का विषय

उत्तरकाशी के मोरी तहसील में आराकोट के कलीच गांव में कुछ दिन पहले जोजोड़ा परंपरा से हुई कविता और मनोज की शादी चर्चाओं का विषय बन गई है। जिसमें पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के बेटे मनोज चौहान की जगह उनकी दुल्हन ग्राम जाकटा के जनक सिंह की बेटी कविता बारात लेकर मनोज चौहान के घर पहुंची थी. कविता ढोल नगाड़ों, पारंपरिक वाद्य यंत्रों और 100 से ज्यादा बारातियों को लेकर कलीच मनोज चौहान के घर पहुंची थी। जहां धूमधाम से उनकी शादी हुई।

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