देहरादून: बीजेपी सरकार लोकायुक्त एक्ट को लेकर फिर सामने आई है। इसे विधानसभा के पटल पर रख दिया गया है। 2012 में विजय बहुगुणा की सरकार ने अपने हिसाब से लोकायुक्त एक्ट पारित किया था, जिसमें सीएम को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया था। मगर त्रिवेंद्र सरकार ने सीएम को उसके अधीन रखकर यह जाहिर करने का इरादा जताया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ वाकई में सख्त कदम उठाना चाहती है।
ऐसे बनेगा लोकायुक्त का ढांचा
– एक अध्यक्ष, जो उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश है या रहा हो। या फिर कोई विख्यात व्यक्ति, जिसके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति, लोक प्रशासन, सतर्कता, वित्त, विधि और प्रबंधन से संबंधित विषयों में 25 साल से ज्यादा की विशेषज्ञता हो।
– अधिकतम चार सदस्य, जिनमें 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे। मगर लोकायुक्त के सदस्यों में से न्यूनतम 50 प्रतिशत सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग और महिला में से होंगे।