देहरादून – निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने कसरत शुरू कर दी है, दोनों ही पार्टियों प्रत्याशियों को ढूंढने में जुट गई है, कौन जिताऊ कैंडिडेट होगा उस पर मंथन चल रहा है। लेकिन भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती भी है, क्या है वह चुनौती जानिए।
निकाय चुनाव की घोषणा जल्द होने वाली है। उससे पहले राजनीतिक पार्टियों ने प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है। बीजेपी ने विधायकों व जिला अध्यक्षों से भी फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा में ऊहापोह की स्थिति देखने को मिल रही है। चूंकि बड़े पैमाने पर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में दूसरे दलों के नेताओं ने भाजपा में पलायन इस वजह से किया कि उन्हें निकाय चुनाव में टिकट मिलेगा, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ और वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी चुनौती का सबब बन रही है।
हालांकि भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का दावा है कि दूसरे दलों से पार्टी में आए नेताओं को अंगीकृत करना हर एक कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है। जहां तक टिकट बंटवारे की बात है तो वह प्रत्याशी के निष्ठा और समर्पण पर निर्भर करता है।
बीजेपी के भीतर ऊहापोह की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों और जिला अध्यक्षों की नब्ज टटोली जिसमें जिताऊ कैंडिडेट पर विमर्श हुआ। ऐसे में देहरादून में एक अनार कई बीमार वाली चरितार्थ हो रही है। विधायक खजान दास ने कहा कि 14 से 15 नेताओं ने मेयर टिकट की दावेदारी की है। जिसमें 4 से 5 महिला नेत्रियां भी शामिल है। मालूम हो कि देहरादून में भी बड़े पैमाने पर कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में कई नेता इस आस में शामिल हुए की उन्हें निकाय में टिकट मिले।
उधर कांग्रेस ने भी बीजेपी पर कटाक्ष किया है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि यह बीजेपी के लिए गंभीर चिंता का विषय है कि वह अपने वर्षों पुराने नेताओं पर विश्वास जताएंगे या पलायन करके भाजपा में गए नेताओं को प्राथमिकता देंगे। हालांकि उन्होंने कांग्रेस को भी नसीहत दी है कि जिन नेताओं ने हाथ का पंजा छोड़कर बीजेपी का कमल थामा उनका रिवर्स पलायन स्वीकारा न जाए।
प्रत्याशी चयन में चुनौतियों का सामना कर रही भाजपा किस पर भरोसा जताएगी यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यदि उन नेताओं को टिकट नहीं मिलता है जो इस आस में गए हैं कि निकाय चुनाव में उन्हें भाजपा अपने कमल के सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी, तो क्या वह लंबे अरसे तक बीजेपी में टिके रहेंगे या फिर रिवर्स पलायन की स्थिति में होंगे।
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