बीजेपी का बंटाधार करते अजय भट्ट…!

0
1312

ajay bhattविज़न 2020 न्यूज: अजय भट्ट,  भाजपा के सिपहसालार, सदन में नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष की आवाज, जिस अजय भट्ट की निगहबानी में बीजेपी उत्तराखंड में विजय करने निकली है वो अजय भट्ट एक के बाद एक मोर्चे पर विपक्षी खेमे के सामने औंधे मुंह गिरते-पड़ते नजर आ रहे, अपनी मुख्य प्रतिद्वंधि पार्टी कांग्रेस के सामने अपने ही बुने जाल में अजय भट्ट बार-बार फँसते जा रहे , उत्तराखंड बीजेपी में द्वय भूमिका निभा रहे अजय भट्ट अपनी ही सियासी रणनीति में भटक गए। चार साल से अधिक समय से अजय भट्ट उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार संभाल रहें ,इन चार वर्षों में अजय भट्ट ने कभी भी गंभीरता से सदन के अंदर सरकार को इस कदर नहीं घेरा की सरकार को उनके सवालों से विचलित होकर अपने किसी भी फैसले को बदलना पड़ा हो। हालांकि अजय भट्ट ने नेता प्रतिपक्ष के रुप में सदन के अंदर कई मुद्दे उठाए लेकिन उनमें से एक को भी अंजाम तक पहुंचाने में नाकाम रहे। तीन साल तक अजय भट्ट इसी आधे-अधूरे मन से सदन के भीतर अपने ही सवालों में फसंते नजर आए। समय ने करवट ली और प्रदेश में तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल खत्म होने के बाद अजय भट्ट ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली। अब जो अजय भट्ट नेता विपक्ष के रुप में पूरी तरह असफल रहे उनसे अध्यक्ष के रुप सफल होने की उम्मीद कैसे की जा सकती। अजय भट्ट के अध्य़क्ष पद पर काबिज होते ही कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए कहां कि भट्ट का अध्यक्ष बनना कांग्रेस के लिए शुभ साबित होगा, इतना ही नहीं कांग्रेस भवन में मिठाईया भी बांटी गई, अब बीजेपी का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जिस अजय भट्ट को लेकर वह प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी उसी के अध्यक्ष बनने पर कांग्रेस में मिठाईयां बांटी जा रही थी। 18 मार्च 2016 को जब कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया तो अजय भट्ट 9 बागियों को अपनी तरफ खीचकर बागियों को राज्यपाल के पास ले गए। राज्यपाल के सम्मुख विधायकों की परेड के दौरान इन्होने बागी विधायकों को ये कहकर आशवस्त किया कि उन्होंने सारी नियम कानूनों की किताबे ढंग से पढ़ी है, सारे बागी विधायकों ने पैड पर साइन कर दिए। अजय भट्ट के पैड पर हस्ताक्षऱ करना इन नौ बागी विधायकों की विधायकी जाने का एक मात्र कारण रहा। अजय भट्ट की अनुभवहीनता का नुकसान सिर्फ इन बागी नौ विधायकों को ही नहीं बल्कि बीजेपी को भी उठाना पड़ा। अजय भट्ट के अध्यक्ष बनने के बाद हरिद्वार जिले में पंचायत के चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी को बुरी तरह मात खानी पड़ी पूरे जिले से सिर्फ भाजपा के दो जिलापंचायत सदस्य जीतकर आए। शक्ति परीक्षण से पहले भी अजय भट्ट ने अति आत्मविश्वास से बड़े-बड़े भाषण दिए थे। लेकिन एन वक्त पर खेल पलट गया, बीजेपी घनसाली विधायक भीमलाल आर्य ने पलटी मार दी और कांग्रेस के पक्ष में वोट कर दिया। कांग्रेस बागी विधायकों के जश्न में डूबे अजय भट्ट अपने विधायकों को तक नहीं संभाल पाए और कांग्रेस ने बाजी मार दी। जिस कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने भी पूरी ताकत झोंक दी थी अजय भट्ट की अनुभवहीनता ने उस पर पलभर में पानी फेर दिया। भाजपा हाईकमान से लेकर प्रदेशभर में अजय भट्ट की थू-थू होने लगी और भाजपाई सिर पीटने लग गए कि किस व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी, अजय भट्ट की नाकामियां देखते हुए विपक्षी खेमे में और अब दबी जुबान में भाजपाइयों के मुंह से निकलने ही लगा की उत्तराखंड में पार्टी अजय भट्ट की कमजोर रणनीतियों को ढो रही जिसका नुकसान अब 2017 के चुनावों में भी देखने को मिलेगा। राज्यसभा चुनाव में भी अजय भट्ट्ट के नेतृत्व में चल रही भाजपा ने भले ही प्रत्यक्ष तौर पर कोई प्रत्याशी नहीं उतारा हो, लेकिन पार्टी ने दो नेताओं का निर्दलीय के तौर पर नामांकन कराया, लेकिन बाद में पार्टी में दमदार और मजबूत दलित चेहरा राज्यसभा उम्मीदवार रही गीता ठाकुर ने भाजपा से तत्काल प्रभाव से त्याग पत्र देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व को दलित विरोधी व महिला विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया। उन्होंने अपने त्याग पत्र में साफ़-साफ़ कहा कि उनको भाजपा ने अपना उम्मीदवार राज्यसभा बनाने का वादा करते हुए उन्हें निर्दलीय नामांकन करने को कहा था। इसके बाद उनपर नाम वापसी का दबाव बनाकर उनका मानसिक उत्पीड़न किया गया। यहां भी अजय भट्ट की अनुभवहीनता के कारण बीजेपी को बड़ा झटका लगा और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा भारी मतों से जीत गए। कुल मिलाकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट यहाँ भी मौके से चूके और हरीश रावत के द्वारा हर अवसर पर मात खाने वाली भाजपा चारों खाने चित पड़ी। पार्टी से नाराज चल रहे भीमताल से विधायक दान सिंह भंडारी ने भी प्रदेश नेतृत्व पर कई सवाल उठाए और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब जिस अजय भट्ट के नेतृत्व में बीजेपी दूसरे के किले को भेदने में लगी है वहीं अजय भट्ट अपना ही किला सुरक्षित नहीं रख पाए। बहरहाल भाजपा का कार्यकर्ता वर्तमान में पार्टी के अंदर के इन सब घटनाकर्मो से आहत है, क्योंकि 2017 में कार्यकर्ता को ही हर बूथ जिताने का जिम्मा सौंपा जाएगा । लेकिन गौर करने वाली बात है कि बार-बार फिसड्डी साबित हुए अजय भट्ट की भाजपा कार्यकर्ता कितनी सुनेंगे यह तो अब 2017 ही बताएगा । फिलहाल अब अनेक भाजपाई सोच रहे कि बीजेपी मे बदलाव के बजाय प्रदेश नेतृत्व का ही बदलाव कर दिया जाय तो बेहत्तर होगा। कांग्रेस के नेता लगातार कह रहे हैं कि जब से बीजेपी की कमान अजय भट्ट ने संभाली है तब से कांग्रेस का लगातार ग्राफ बढ़ रहा है और बीजेपी का बंटाधार हो रहा है। वही दबी जुबान में बीजेपी के कुछ नेता भी कह रहे हैं कि अजय भट्ट के कारण पार्टी को काफी नुकसान झेलना पड़ा और समय-समय पर पार्टी की किरकिरी हुई। तो क्या मान लिया जाए की अजय भट्ट बीजेपी का बंटाधार कर रहे है।…

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here