नई दिल्ली – जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण व बफर क्षेत्र में बाघ सफारी स्थापित करने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने शर्तों के साथ बफर जोन में बाघ सफारी स्थापित करने की अनुमति दे दी। वहीं, शीर्ष अदालत ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद पर नाराजगी जताई।
सांठगांठ के चलते पर्यावरण को हुआ नुकसान
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि राजनेताओं और वन अधिकारियों के बीच सांठगांठ के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। राज्य प्रशासन और राजनेताओं ने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया है। इसके अलावा, अदालत ने मामले की जांच कर रही सीबीआई से तीन महीने के अंदर स्टेट्स रिपोर्ट देने को कहा।
#WATCH | Delhi: On SC judgement on Tiger Safari Plan at Jim Corbett National Park, Advocate Gaurav Kumar Bansal says "Supreme Court has directed CBI to provide an interim report on the investigation which they have done. Further, SC has also directed whether the Safari can be in… pic.twitter.com/SCO6hIeGvG
— ANI (@ANI) March 6, 2024
सीबीआई को अंतरिम रिपोर्ट देने का निर्देश
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघ सफारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वकील गौरव कुमार बंसल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच पर अंतरिम रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि सफारी बफर क्षेत्र में हो सकती है या नहीं यह बताया जाए।’
टाइगर रिजर्व में सफारी की अवधारणा के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शीर्ष अदालत की गठित समिति इस पर गौर करेगी और वे शर्तें लगाएंगे।