चमोली। मौसम विभाग द्वारा पूर्वानुमान के आधार पर हिमपात और हिमस्खलन की संभावना जताई गई है। इसके मद्देनजर जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने 2000 मीटर और उससे ऊंचे क्षेत्रों में पर्यटकों, ट्रैकर्स और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि तीन मार्च तक पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटकों को रोकने का फैसला लिया गया है।
जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन के तहत सभी संबंधित अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। आपदा से निपटने के लिए आईआरएस प्रणाली के तहत नामित अधिकारी, विभागीय नोडल अधिकारी, और राजस्व विभाग के कर्मचारी अपने क्षेत्रों में बने रहेंगे। इस दौरान कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ नहीं करेगा। एनएच, लोनोवि, पीएमजीएसवाई और बीआरओ को सड़कों के बंद होने पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
बागेश्वर जिले में रविवार को हिमपात और बारिश के बाद मौसम साफ रहा, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि, चटक धूप के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। विशेष रूप से धूप निकलने के बाद भूस्खलन की आशंका अधिक रहती है। जिला प्रशासन ने बंद सड़कों को जल्द खोलने के निर्देश दिए हैं।
कपकोट क्षेत्र, जो भूकंप और भूस्खलन के लिहाज से जोन पांच में आता है, यहां वर्षा और हिमपात के बाद बिजली, पानी और संचार सेवाओं पर असर पड़ा है। सड़कों पर मलबा और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। कुछ प्रमुख सड़कों पर मलबा गिरने की सूचना मिली है, जिसे संबंधित विभागों ने हटाने का काम शुरू कर दिया है।
भयूं-गुलेर मोटर मार्ग में भारी भूस्खलन के कारण सड़क बंद हो गई थी, जिससे दो किमी में मलबा जमा हो गया था। इसे हटाने के लिए लोडर मशीनों का उपयोग किया गया और रविवार को सड़क को सुचारू किया गया। इसके अलावा, पगना मोटर मार्ग पर भी भारी मलबा जमा हुआ था, जिसे हटाने का काम किया गया। शनिवार को 200 बराती फंस गए थे, जिन्हें देर शाम मलबा हटने के बाद राहत मिली।
कपकोट के कर्मी, मुनार, खाती आदि क्षेत्रों में भी सड़कों पर मलबा गिरने की खबरें आई हैं। जिला प्रशासन ने इन क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं ताकि कोई बड़ी घटना ना हो और स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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