ट्रंप की टीम में एक और भारतीय मूल की महिला, नागरिक अधिकार मामलों की सहायक अटॉर्नी जनरल बनीं।

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वॉशिंगटन – पांच नवंबर को हुए अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार जीत हासिल की और वह अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए। अब, ट्रंप अपनी टीम का गठन करने में जुटे हुए हैं, जिसमें उन्होंने कई नए चेहरों को मौका दिया है। इस टीम में एक अहम नाम भारतीय मूल की हरमीत के. ढिल्लों का भी है। उन्हें न्याय विभाग में नागरिक अधिकार मामलों की सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में चुना गया है।

ट्रंप का एलान

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घोषणा को अपनी सोशल मीडिया प्लेटफार्म, ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करते हुए बताया। उन्होंने लिखा, “मुझे अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के. ढिल्लों को चुनते हुए खुशी हो रही है।”

नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा में हरमीत की भूमिका

ट्रंप ने आगे कहा, “हरमीत ने अपने पूरे करियर में हमारी बहुमूल्य नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है, जिसमें बड़ी तकनीकी कंपनियों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का मुकाबला करना, कोविड के दौरान ईसाइयों को एक साथ प्रार्थना करने से रोकने के खिलाफ आवाज उठाना और उन कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना जो अपने श्रमिकों के साथ भेदभाव करती हैं।”

हरमीत के बारे में जानें

हरमीत के. ढिल्लों एक प्रतिष्ठित चुनाव वकील हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं कि केवल कानूनी वोटों की ही गिनती हो। वह डार्टमाउथ कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया लॉ स्कूल की स्नातक हैं और यूएस फोर्थ सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स में क्लर्क भी रह चुकी हैं। वह सिख समुदाय की सम्मानित सदस्य हैं और अपने नए भूमिका में नागरिक अधिकारों व चुनाव कानूनों को निष्पक्ष रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

चंडीगढ़ से जुड़ीं हैं हरमीत

चंडीगढ़ से नाता रखने वाली 54 वर्षीय हरमीत ढिल्लों बचपन में अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। उन्होंने इस साल जुलाई में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में अरदास का पाठ किया था, जिसके बाद उन पर नस्लीय हमले हुए थे। इसके अलावा, वह पिछले साल रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए असफल हो चुकी थीं। 2016 में वह क्लीवलैंड में जीओपी कन्वेंशन के मंच पर दिखाई देने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी थीं।

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