देहरादून – उत्तराखंड सरकार और आइसलैंड की प्रमुख कंपनी वर्किस कंसलटिंग इंजिनियर्स के बीच भूतापीय ऊर्जा के अन्वेषण और विकास के संबंध में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। यह समझौता सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आइसलैंड के राजदूत डॉ. बेनेडिक्ट हॉस्कुलसन की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
मुख्यमंत्री धामी ने इस समझौते को उत्तराखंड और देश की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के लिए माइलस्टोन बताया। उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के तहत भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखंड को न केवल स्वच्छ और नवीनीकरण ऊर्जा का लाभ मिलेगा, बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए समावेशी विकास की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आइसलैंड भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश है और उनके तकनीकी सहयोग से उत्तराखंड इस क्षेत्र में एक प्रमुख राज्य बनेगा। इस परियोजना के लिए भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से अनापत्ति प्राप्त हो चुकी है। इसके अलावा, आइसलैंड सरकार द्वारा राज्य में भूतापीय ऊर्जा के व्यवहारिकता अध्ययन का खर्च वहन किया जाएगा।
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के आकलन के अनुसार उत्तराखंड में लगभग 40 भूतापीय स्थल चिन्हित किए गए हैं, जहां भूतापीय ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है।
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