महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, और पुणे इस रोग का केंद्र बनता जा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की, जो इस दुर्लभ और गंभीर बीमारी से पीड़ित था। मृतक पुणे में काम करता था और हाल ही में अपने गृह जिले सोलापुर गया था।
महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के आंकड़े
26 जनवरी तक, महाराष्ट्र के पुणे जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कुल 101 मामले सामने आए हैं। इनमें से 81 मामले पुणे नगर निगम से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ से और 6 जिले के अन्य हिस्सों से रिपोर्ट किए गए हैं। प्रभावित व्यक्तियों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 16 मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर पर हैं और उनका इलाज चल रहा है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्तियों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया और सावधानियां
स्वास्थ्य विभाग ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं और जिले के निवासियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और ताजा, साफ भोजन खाने पर जोर दिया गया है। विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और यदि किसी भी प्रकार के लक्षण दिखें, तो तुरंत सरकारी अस्पताल में जाकर जांच कराएं।
बीमारी के लक्षण और सरकार के उपाय
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जीबीएस (GBS) के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, लकवा, चलने में परेशानी, दस्त और अचानक कमजोरी शामिल हैं। राज्य सरकार ने पहले ही कई कदम उठाए हैं। एक राज्य स्तरीय त्वरित प्रतिक्रिया दल ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया है, और पुणे नगर निगम (PMC) तथा ग्रामीण जिला अधिकारियों को निगरानी गतिविधियों को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा, शहर के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। राज्य सरकार ने घर-घर निगरानी गतिविधियां भी बढ़ा दी हैं, और पुणे जिले में अब तक कुल 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बारे में अधिक जानकारी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ बीमारी है, जिसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन यह आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद उत्पन्न होता है। इसके लक्षणों में हाथ और पैरों में कमजोरी और झुनझुनी प्रमुख होते हैं, जो तेजी से फैल सकते हैं और पक्षाघात का कारण बन सकते हैं।
हालांकि, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और ठीक होने में तेजी लाई जा सकती है। उपचार में आमतौर पर प्लाज्माफेरेसिस या अंतःशिरा इम्यूनोग्लोबुलिन का उपयोग किया जाता है।
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