पिथौरागढ़: उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का माहौल इन दिनों चरम पर है, लेकिन इसी बीच पिथौरागढ़ के बेरीनाग विकासखंड के रीठा रैतौली गांव ने पूरे प्रदेश के लिए एक नई मिसाल कायम कर दी है। यहां गांववासियों ने आपसी सहमति से ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य का चयन किया — और वो भी एक ही परिवार की देवरानी और जेठानी को।
ग्राम प्रधान बनीं छोटी बहू, बीडीसी बनीं बड़ी बहू गांव के बुजुर्ग बाला दत्त धारियाल के छोटे बेटे प्रमोद धारियाल की पत्नी निशा धारियाल को ग्राम प्रधान और बड़े बेटे उमेश धारियाल की पत्नी जानकी धारियाल को क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्विरोध चुना गया है। किसी अन्य उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया, जिससे इनका चयन सर्वसम्मति से तय हो गया।
रीठा रैतौली की जनसंख्या करीब 800 करीब 800 की जनसंख्या वाले इस गांव में पहले भी निशा धारियाल प्रधान रह चुकी हैं और इस बार ग्रामीणों ने दोबारा उन पर विश्वास जताया है।
ग्राम पंचायत की विरासत बन गई एक परिवार की सेवा भावना 1980 से लेकर 2003 तक निशा और जानकी के ससुर बाला दत्त धारियाल ग्राम प्रधान रहे। इसके बाद 2003 में उनकी पत्नी अम्बिका धारियाल ग्राम प्रधान और बहू जानकी धारियाल बीडीसी सदस्य बनी थीं। यानी एक ही परिवार के सास-ससुर, सास-बहू और अब देवरानी-जेठानी पंचायत की कमान संभाल चुके हैं।
गांव की तरक्की में परिवार की अहम भूमिका स्थानीय लोगों के मुताबिक यह परिवार वर्षों से गांव की समस्याओं के समाधान में जुटा रहा है। चाहे आपसी विवाद हों या सरकारी सुविधाओं की कमी — इस परिवार ने निजी संसाधनों से कई काम करवाए। पहले जहां सड़क और स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं, आज गांव 10वीं तक स्कूल और सड़क कनेक्टिविटी से जुड़ चुका है।
पूर्व सैनिक और ग्रामीणों की राय पूर्व सैनिक भूपाल सिंह भंडारी और ग्रामीण प्रमोद धारियाल बताते हैं कि इस परिवार ने गांव के हर सुख-दुख में साथ दिया है। यही कारण है कि ग्रामीणों ने एक बार फिर इन्हें मौका दिया है।
सरकार को ऐसे प्रयासों को देना चाहिए बढ़ावा रीठा रैतौली के ग्रामीणों की यह एकजुटता और लोकतांत्रिक समझ पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा है। सरकार को ऐसे पंचायतों और परिवारों को प्रोत्साहित करना चाहिए जो आपसी सौहार्द और विकास को प्राथमिकता देते हैं