

देहरादून। राष्ट्रीय राजमार्ग का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एसआईटी ने एनएचआई के अफसरों पर अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी थी लेकिन एनएचआई मुख्यालय से उन्हें निराशा मिली है। जानकारी देते हुए एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बातया कि अब वह इस मामले पर विधिक राय लेना चाह रही है ताकि मामले को सही ढंग से निपटाया जा सके। एसआईटी की केस डायरी में एनएचआई के अधिकारियों की कमियों की चर्चा है। लेकिन केस डायरी में मौजूद साक्ष्यों के आधार पर इस मामले का संज्ञान न्यायालय भी ले सकता है जिस पर एसआईटी विधिक राय लेने के प्रयास में है।
एक सितंबर को एसआईटी के विवेचक ने खुद दिल्ली जाकर एनएचएआई के अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। इस संदर्भ में एनएचआई मुख्यालय ने अभियोजन की स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है। एनएचआई के अधिकारियों ने पहले ही मुख्यालय को यह शिकायत की थी कि उनके विरुद्ध पुरानी तिथियों में 143 की कार्यवाही का प्रयास चल रहा है। जब एनएचआई के अधिकारियों ने पहले ही लिखित शिकायत दे दी है ऐसे में उनके विरुद्ध जांच की स्वीकृति देना उचित नहीं होगा। एसआईटी ने अपनी विवेचना में एक तथ्य रखा था कि एनएचएआई अफसरों ने पात्रों को मुआवजा न देकर 143 करने वालों को पहले मुआवजा दिया। जिन मामलों में उन्हें जिलाधिकारी/ आर्विट्रेटर के पास जाना चाहिए था वह नहीं गये। यह बात तत्कालीन आयुक्त डी सेंथिल पांडियन रिपोर्ट में है।
अब जब मुख्यालय से अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है तो एसआईटी विधि राय लेने की तैयारी कर रही है। इसी मामले में दो पूर्व जिलाधिकारी डॉ. पंकज कुमार पांडे तथा चंद्रेश यादव को उत्तराखंड सरकार ने निलंबित कर दिया है जिसके कारण यह मामला और संगीन हो गया है।



