डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय ने फिर कायम की मिसाल, उत्तराखंड को दिलाई राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान

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देहरादून। वरिष्ठ आईएएस अफसर डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। कौशल विकास मिशन के बाद अब उत्तराखंड को फिल्म फ्रेंडली एवार्ड मिलना साथ ही साथ स्पेशल मेंशन सर्टिफिकेट फॉर फिल्म फ्रेंडली एनवारमेंट अवार्ड के लिए राज्य का चुना जाना एक और कामयाबी भरा कदम है। उत्तराखंड जहां प्रकृति ने सब कुछ दिया है और मन से जिस राज्य को संवारा है, अब वहां फिल्मों की शूटिंग और महत्वपूर्ण ढंग से की जाएगी। फिल्मांकन के लिए श्रेष्ठ और बेहतर सुविधाएं देने वाले राज्यों में उत्तराखंड का नाम भी शामिल हो गया है। राज्य को यह सम्मान मिलना जहां राज्य के प्राकृतिक वातावरण तथा नैसर्गिक सुंदरता बड़ा कारण है, वहीं डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय की कुशल नीति तथा वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विशेष पहल का परिणाम है। जिसके कारण आज उत्तराखंड पूरे देश में सिरमौर राज्यों में शामिल हो गया है। इसके पीछे केवल मुख्यमंत्री का निर्देशन और डॉ. पाण्डेय की कुशलता तथा नैसर्गिक वातावरण की उपलब्धता है। ऐसा नहीं है कि उपलब्धता आज ही हुई है। वर्षों से इसी सुंदरता का स्वामी रहा है लेकिन नियोजन की कमियों के कारण अब तक ऐसा लाभ नहीं मिल पाया था। उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद का दायित्व डॉ. पाण्डेय के हाथा में लगभग एक वर्ष ही आया था। एक वर्ष के भीतर यही यह उपलब्धि किसी श्रेष्ठ प्रमाण पत्र से कम नहीं है।
उत्तराखण्ड राज्य को यह पुरस्कार राज्य में फिल्म शूटिंगों के लिए निर्माता/निर्देशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के प्रयासों के लिए दिया गया है। चूंकि उत्तराखण्ड अभी नया राज्य है और वहां पर चुनौतियां भी काफी है, इसके बावजूद उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा किये गये सकारात्मक प्रयासों की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर की गई है। प्रतिवर्ष दिये जाने वाले इस पुरस्कार के लिए सभी राज्यों से आवेदन आमंत्रित किये जाते है। जिसके बाद पुरस्कार चयन हेतु गठित समिति द्वारा पुरस्कार के लिए राज्यों का चयन किया जाता है। इस वर्ष इस चयन समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध फिल्म निर्माता/निर्देशक श्री रमेश सिप्पी थे। पुरस्कारों की घोषणा श्री सिप्पी द्वारा की गई है। यह पुरस्कार आगामी 03 मई, 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में प्रदान किये जायेंगे।
उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.पंकज कुमार पाण्डेय ने उत्तराखण्ड राज्य को पुरस्कार के लिए चयनित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में परिषद के कार्यों में तेजी लायी गयी है। ज्ञातव्य है कि उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री जी स्वयं है। डॉ.पाण्डेय ने बताया कि परिषद के माध्यम से फिल्म निर्माताओं को अधिक से सुविधा मिले, इसके लिए पूरे प्रयास किये गये है। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में प्रदेश में निर्मित होने वाली फिल्मों की शूटिंग में शुल्क को समाप्त किया गया है। इससे भी प्रदेश में फिल्म निर्माता एवं निर्देशकों को शूटिंग के प्रति रूझान बढ़ा है। डॉ.पाण्डेय ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार के लिए उत्तराखण्ड राज्य का चयन हम सभी के लिए गौरव की बात है। परिषद का गठन वर्ष 2015 में ही हुआ है और अपने इस अल्प कार्यकाल में देश के अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए उत्तराखण्ड राज्य का इस पुरस्कार के लिए चयन हुआ है।
डॉ.पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 2015 से अब तक लगभग 100 से अधिक फिल्म निर्माताओं द्वारा फीचर फिल्म, टी.वी.सीरियल, डाक्यूमेंट्री, वीडियो एलबम आदि की शूटिंग राज्य में की गई है, जिन्हें उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद द्वारा सिंगल विडों के माध्यम से 7 दिन से भी कम समय के भीतर शूटिंग हेतु अनुमति प्रदान की गई है। इनमें कई बड़े बैनरों की भी कई फिल्मों की शूटिंग उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में की गई है। जिसमें अजय देवगन प्रोडक्शन द्वारा निर्मित हिन्दी फिल्म “शिवाय”, तिग्मांशु धूलिया निर्देशित राग देश, तेलगु फिल्म “ब्रहमोत्सवम”, हिन्दी फिल्म “शुभ मंगल सावधान”, सोनी टी.वी. पर प्रसारित सीरियल “बडे भैय्या की दुलहनिया, जी.टी.वी. पर प्रसारित धारावाहिक “पिया अलबेला”, एम.टी.वी. पर प्रसारित होने वाला रियलिटी splitsvilla session 10, टी.सी. धारावाहित बेपनाह, मराठी फिल्म “फुर्र”’ हिन्दी फिल्म “बत्ती गुल मीटर चालू” तथा हिन्दी फिल्म “स्टूडेंट ऑफ द ईयर-2”, अभिनेता जॉन इब्राहिम द्वारा निर्मित फिल्म “परमाणु”, “रायफलमैन जसबंत सिंह रावत” के साथ ही उत्तराखण्ड क्षेत्रीय बोली की फिल्म “गोपी-भिना, भुली ए भुली, बद्री द क्लाउड, मेजर निराला आदि प्रमुख फिल्में और धारावाहिक की शूटिंग राज्य में हुई है।
उल्लेखनीय है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष The Most Film Friendly State Award का आयोजन किया जाता है, जिसमें इस वर्ष 16 राज्यों ने प्रतिभाग किया था।

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