अनशन नहीं उपवास बना राजनीतिक हथियार!

अब तक सत्ता का विरोध करने वाले लोगों का अहम हथियार अनशन हुआ करता था लेकिन आज सरकार ही उपवास पर है, संसद का बजट सत्र बाधित होने पर विपक्ष से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समित BJP के तमाम मंत्री और सांसद देश के अलग-अलग शहरों में उपवास पर बैठ गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन का असर उत्तराखंड में भी भाजपाइयों द्वारा किया गया। जिस गांधी पार्क के बाहर 9 अप्रैल को कांग्रेसी आपसी सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए सत्ता पक्ष के खिलाफ उपवास पर बैठे थे आज उसी स्थान पर सत्ता पक्ष विपक्ष पर सदन ना चलने का आरोप लगाते हुए उपवास पर बैठी।

राजनीति में चाल चरित्र और चेहरा कब बदल जाए यह कहा नहीं जा सकता, यही वजह है की राजनीतिक आंदोलन का चरित्र और चेहरा दोनों बदल गया है। एक वक्त था जब अनशन राजनीतिक हथियार के तौर पर पाटिया इस्तेमाल करती थी लेकिन पहली बार ऐसा हुआ की जिसे राजनीति का पप्पू कहा जाता है आज उसी पप्पू के राजनीतिक हथियार को सत्ता पक्ष ने अपना हथियार बना लिया है 9 अप्रैल को राहुल गांधी के आह्वान पर पूरे देश भर में सत्ता पक्ष के खिलाफ कांग्रेसियों ने उपवास कार्यक्रम किया ठीक 3 दिन बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन ना चलने का आरोप लगाते हुए विपक्ष के खिलाफ उपवास पर बैठ गए ऐसा नहीं है कि इस देश में या किसी राज्य में विपक्षियों के विरोध के चलते सदन स्थगित ना हुआ हो चाहे वह विपक्षी भाजपाई हो या फिर अन्य दल लेकिन इन सबके बीच आज जवाब देने वाली सरकार खुद सवाल उठाते हुए सड़क पर नजर आई।
सत्ता पक्ष के उपवास को कांग्रेस ने भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सदन चलाना सरकार का काम है और विपक्ष का काम जनता की आवाज को उठाना है विपक्ष का यह संवैधानिक अधिकार है सरकार आज उपवास करके जनता को यह दिखा रही है कि हम पूरी तरह से फेल हो गए हैं यह उपवास नहीं लोकतंत्र का उपहास है।

राजनीति में बदले हुए हथियार से किसी का फायदा हो ना हो हां यह जरूर है कि डॉक्टरों के अनुसार महीने में 1 दिन भूखे रहने से नेताओं का हाजमा जरूर सही रहेगा।

 

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