देहरादून के रणवीर फर्जी एनकाउंटर मामले में दिल्ली हाइकोर्ट ने उत्तराखंड पुलिस के 7 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। 11 अन्य पुलिसकर्मियों को मामले में राहत मिली हैं उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया है। उधर, मृतक रणवीर के पिता रविंदर पाल ने हाईकोर्ट के फ़ैसले पर दुःख जाहिर किया है। उन्होंने कहा अभी तक उन्हें इस निर्णय के बारे में कोई जानकारी नही थी। आदेश को देखने के बाद उनकी कानूनी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।
हाइकोर्ट ने 4 साल लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। मामले में गाज़ियाबाद के शालीमार गार्डन निवासी एमबीए छात्र रणवीर का 3 जुलाई 2009 को देहरादून में उत्तराखंड पुलिस ने फ़र्ज़ी एनकाउंटर कर हत्या कर दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेन्द्र राठी, संजय रावत, दारोगा इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई और मनोज कुमार को बरी कर दिया है। वहीं डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंसपेक्टर डालनवाला एस के जायसवाल, आरा चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबिल अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश विष्ट, उप निरीक्षक नीरज यादव और चंद्रमोहन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है।
रणवीर को लगी थी 22 गोलियां : कथित मुठभेड में पुलिस ने रणवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। उस समय पुलिस ने मुठभेड़ में 29 राउंड फायरिंग किए जाने का दावा किया था। पांच जुलाई 2009 को आई पोस्टमार्टम ने पुलिस द्वारा दिखाई गई बहादुरी की पोल पट्टी खोल दी थी। मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे।
शरीर में आई चोटों से हुआ खुलासा: शरीर पर आई ब्लेकनिंग से इसका खुलासा हुआ था। यह नहीं रणवीर के शरीर पर 28 चोटे चिहिंत की गई थी। जाहिर है कि यह चोटे मुठभेड में तो नहीं लगी होगी।
पोस्टमार्टम के बाद हुए नये खुलासे : दून पहुंचे रणवीर के परिजनों ने एनकाउंटर को फर्जी बताया, परिजनों के अनुसार रणवीर 3 जुलाई को ही दून में महेंद्रा कंपनी ज्वाइन करने वाला था। अगली सुबह दून हॉस्पिटल म्यूर्चरी के बाहर पुलिस ने रणवीर के परिजनों पर लाठीचार्ज कर मामला और बिगाड़ दिया, सरकार ने सीबीसीआईडी जांच के आदेश दिए। पांच जुलाई को रणवीर की पीएम की रिपोर्ट आई जिसमें मौत से पहले गंभीर चोट पहुंचाए जाने की बात पुष्ट हुई। पीएम रिपोर्ट ने कुल 28 चोटें और 22 गोलियां लगने की बात कही। गोली महज तीन फीट दूरी से मारी गई थी। मामला सीबीआई को मिलने के बाद पहली बार 31 जुलाई को सीबीआई टीम दून पहुंची।