इस गुफा में छिपा है दुनिया के खत्म होने का सबसे बड़ा राज…

धरती पर एक जगह ऐसी भी है, जहां एक ही स्थान पर पूरी सृष्टि के दर्शन होते हैं। सृष्टि की रचना से लेकर कलयुग का अंत कब और कैसे होगा इसका पूरा वर्णन यहां पर है। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर चारों धामों के दर्शन एकसाथ होते हैं। शिवजी की जटाओं से अविरल बहती गंगा की धारा यहां नजर आती है तो अमृतकुंड के दर्शन भी यहां पर होते हैं। ऐरावत हाथी भी आपको यहां दिखाई देगा तो स्वर्ग का मार्ग भी यहां से शुरु होता है..

उत्तराखंड के गंगोलीहाट ‌के गांव भुवनेश्वर में पाताल भुवनेश्वर गुफा स्थित है। यह गुफा पिथौरागढ़ जिले में मौजूद है।एक प्राचीन और रहस्यमयी गुफा है जो अपने आप में एक रहस्यमयी दुनिया को समेटे हुए है। ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फिट अंदर है। 90 फिट नीचे गुफा में उतरने के लिए चट्टानों के बीच संकरे टेढ़ी मेढ़े रास्ते से ढलान पर उतरना पड़ता है। देखने पर गुफा में उतरना नामुमकिन सा लगता है लेकिन गुफा में उतरने पर शरीर खुद ब खुद गुफा के संकरे रास्ते में अपने लिए जगह बना लेता है।

तैंतीस करोड़ देवता विद्यमान
पौराणिक कथा और लोकगीतों में इस भूमिगत गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और तैंतीस करोड़ देवता विद्यमान हैं। यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है। यहां चूने के पत्‍थरों से कई तरह की आकृतियां बनी हुई हैं। इस गुफा में बिजली की व्यवस्‍था भी है। पानी के प्रवाह से बनी यह गुफा केवल एक गुफा नहीं है, बल्कि गुफाओं की एक श्रृंखला है। इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी। जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। यह स्कंद पुराण के ‘ मानस खंड ‘ में वर्णित किया गया है कि आदि शंकराचार्य ने 1191 ई. में इस गुफा का दौरा किया था. यही पाताल भुवनेश्वर में आधुनिक तीर्थ इतिहास की शुरुआत हुई थी।

एक हजार पैर वाला हाथी
अपने सुना या पढ़ा तो जरूर होगा कि इस पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है लेकिन वो शेषनाग है कहां..? इसके जवाब में इसका उत्तर समुद्र सुनने को मिलता है। लेकिन यहां आपको शेषनाग के दर्शन भी होते हैं और यहां पर शेषनाग अपने फन पर पृथ्वी को धारण किए दिखाई देता है..गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों लगी हुईं है। गुफा में शेष नाग को पृथ्वी पकड़े देखा जा सकता है। इसके साथ ही यह एक शिवलिंग है जो लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। कहा जाता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है। यह माना जाता है कि यह गुफा कैलाश पर्वत पर जाकर खुलती है। यह भी माना जाता है कि युद्ध के बाद पांडवों ने अंतिम यात्रा से पहले इसी गुफा में तप किया था।

कुल मिलाकर 160 मीटर लंबी पाताल भुवनेश्वर गुफा एक ऐसा स्थान है जहां पर एक ही स्थान पर न सिर्फ 33 करोड़ देवताओं का वास है बल्कि इस गुफा के दर्शन से चारों धाम- जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिकी पुरी और बद्रीनाथ धाम के दर्शन पूर्ण हो जाते हैं।

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