भारत का विश्व प्रसिद्ध और सबसे पवित्र तीर्थ स्थल वैष्णो देवी मंदिर के बारें में सभी जानते हैं। क्या आप जानते है जिस पहाड़ी पर यह मंदिर है उसे त्रिकूट पर्वत के नाम से जाना जाता है। वैष्णो देवी मंदिर हिदू परंपरा में आस्था रखने वाले के लिए यह बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है । अगर आप भी माता वैष्णों देवी के दरबार में गए है तो आपने देखा होगा कि मां का निवास पर्वत पर एक गुफा में है। भक्तों की लंबी कतार के कारण आपको पवित्र गुफा के दर्शन का काफी कम समय मिला होगा इसलिाए इस गुफा के बारे में कई बातें हैं जो आप नहीं जान पाए होंगे. आइये आज हम ऐसे ही कुछ रहस्यों के बारे में बात करते हैं.
ऐसा माना जाता है कि गुफा में भैरव का शरीर है. माता ने अपने त्रिशूल से भैरव का सर काट दिया था । भैरव का सर उड़ कर भैरव घाटी में चला गया और वही शरीर पत्थर रूप में आज भी गुफा के द्वार पर है जिसपर से लेटकर ही माता वैष्णो देवी के प्राचीन गुफा में प्रवेश किया जाता है। माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए वर्तमान में जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है वह गुफा में प्रवेश का प्रकृतिक रास्ता नहीं है।
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कृतिम रास्ते का निर्माण 1977 में किया गया। वर्तमान में इसी रास्ते से श्रद्धालु माता के दरबार में प्रवेश पाते हैं। दरअसल एक यह भी नियम है कि जब कभी भी दस हजार के कम श्रद्धालु होते हैं तब प्राचीन गुफा का द्वार खोल दिया जाता है। आमतौर पर ऐसा शीत काल में दिसंबर और जनवरी महीने में होता है। माता वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते में ही गर्भजून गुफा है जिसके बारे में मान्यता है कि माता उसी प्रकार गर्भ में 9 महीने तक रही थी जैसा कि हम जानते हैं कि गर्भ एक शिशु पलता है।
प्राचीन गुफा में पवित्र गंगा जल प्रवाहित होता रहता है। इस जल से पवित्र होकर माता के दरबार में पहुंचने का विशेष महत्व माना जाता है। वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने वाली घाटी में कई पड़ाव भी हैं, जिनमें से एक है आदि कुंवारी या आद्यकुंवारी है ।