न्याय देवता के नाम से मशहूर इस मंदिर का राष्ट्रपति भवन से है सीधा कनेक्शन !

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ देश के हर राष्ट्रपति को नमक चढ़ाना पड़ता है। जी हाँ,  प्रकृति की गोद में बसे उत्तराखंड के उत्तरकशी में टौंस नदी के किनारे स्थित महासू मंदिर देश के हर राष्ट्रपति के लिए ख़ास रहा। इस मंदिर में हर साल दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से नमक भेंट किया जाता है। यह मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर दूर और मसूरी से 156 किलोमीटर दूर है।
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। वर्तमान में महासू देवता के भक्त मन्दिर में न्याय की गुहार करते हैं जो उनकी पूरी होती है।
इस मंद‌िर की दिलचस्प है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन को ओर से नमक भेंट किया जाता है। यह मंद‌िर मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए हुए है। वहीं यह बात आज भी रहस्य है। मंदिर के साथ छोटे-छोटे पत्‍थर हैं जो आकार में तो बहुत छोटे हैं, लेकिन इन्हें उठा पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से महासू की पूजा करता है वह ही इन पत्थरों को उठा सकता है।
मंदिर के गृह गर्भ में भक्तों का जाना मना है। केवल पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। इसके साथ ही मंदिर में एक ज्योत हमेशा अपने आप जलती रहती है।मंदिर में हमेशा एक ज्योति जलती रहती है जो दशकों से जल रही है। और मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा निकलती रहती है। लेकिन वह कहां जाती है, कहां से निकलती है इसके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर पाया है।

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