योगी के बाद त्रिवेंद्र की बारी, जानिए क्यों !

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मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कुशल नेतृत्व में यूपी निकाय चुनाव में भाजपा के जोरदार प्रदर्शन ने कांग्रेस हो या बसपा-सपा, तीनो ही पार्टियों को चित कर दिया है। लेकिन यूपी निकाय चुनाव परिणामो ने उत्तराखंड में भाजपा के लिए दिलचस्प चुनौती पेश कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में रिकार्ड बहुमत से सत्ता हासिल करने वाली भाजपा पर अब आगामी निकाय चुनाव में बेहतर नतीजे देने का दबाव रहेगा। साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए यह सत्ता संभालने के बाद अग्निपरीक्षा से कम न होगी।

यू तो उत्तराखंड में अप्रैल 2018 में नगर निकाय चुनाव होने हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए एक साल के कार्यकाल के नतीजों को जनमत के आधार पर आंकने का अवसर बनने जा रहा है। प्रदेश में यूं तो नगर निकायों की कुल संख्या 92 है, लेकिन इनमें नगर निगम केवल आठ ही हैं। नगर पालिकाओं की संख्या 35 और बाकी 49 नगर पंचायत हैं। अगर प्रदेश की भाजपा सरकार के आठ माह के कामकाज का आंकलन का आधार केवल नगर निगमों को ही बनाएं तो भाजपा को इस निकाय चुनाव में आठ नगर निगमों पर काबिज होने के लिए सियासी जंग लड़नी होगी।

सरकार ने दो नए नगर निगम कोटद्वार व ऋषिकेश हाल ही में सृजित किए हैं, जबकि बाकी छह नगर निगमों में से पांच पर भाजपा ही काबिज है। देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी में भाजपा के महापौर हैं जबकि पिछले चुनाव में  काशीपुर और रुड़की में निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे। इनमें से एक भाजपा व दूसरे कांग्रेस में शामिल हो गए। यानी, भाजपा को आगामी निकाय चुनाव में अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराना होगा। इस बार दो नए निगम बनने से भाजपा की मेहनत और ज्यादा बढ़ गई है। साफ है कि यह भाजपा के लिए संतोष की बात है कि पांच सिटिंग महापौर उसके हैं, लेकिन देखा जाए तो यह बड़ी चुनौती भी रहेगी कि पार्टी आगामी निकाय चुनाव में अपनी सीटों को बचा ले जाए।

क्या विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी भाजपा

सीएम त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के नतीजों ने भाजपा की नीतियों पर मुहर लगाई है। लोकसभा, विधानसभा और अब निकाय चुनाव में जीत से साफ हो गया है कि जनता भाजपा की नीतियों से खुश है और जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर अपनी खुशी का इजहार किया है। उनके मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आठ महीने के कामकाज को जनता ने पूरी तरह सही ठहराया है। उत्तराखंड में कुछ समय बाद होने वाले निकाय चुनाव में भी भाजपा विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराएगी और हम इसके प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं।

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