राजपूतो के बड़े आंदोलन के आगे हर बार झुकी सरकार !

राजस्थान में भाजपा का सबसे बडा वोट बैंक राजपूत समुदाय इस बार मौजूदा सरकार से लगातार नाराज दिख रहा है।फिल्म पद्मावती पर बैन को लेकर देशभर समेत राजस्थान में भी राजपूतो का आंदोलन चल रहा है। राजपूत समुदाय को राजस्थान में पिछले एक साल में तीन बार बडे आंदोलन करने पडे है और हर बार सरकार को उनकी मांग के आगे झुकना पड़ा है।

राजस्थान में जातियों के हिसाब से राजपूत, जाट, ब्राह्मण, मीणा और गुर्जर पांच बड़े वोट बैंक माने जाते हैं। इनमें से जाट समुदाय शेखावटी, जोधपुर और भरतपुर संभाग और मीणा व गुर्जर उदयपुर, जयपुर व भरतपुर संभाग में ही ज्यादा मौजूदगी रखते हैं। लेकिन राजपूत और ब्राह्मण हर संभाग में हैं और इन दोनों में से भी राजपूत परंपरागत रूप से भाजपा के समर्थक माने जाते हैं।

यह पहला मौका है जब राजपूत भाजपा सरकार के खिलाफ बार-बार सड़क पर उतर रहे हैं। पिछले एक वर्ष में राजपूतों ने तीन बार आंदोलन किए और हर बार पहले इनकार करने के बावजूद सरकार को उनकी बात माननी पड़ी। हालांकि इन हालात को लेकर राजपूतों में नाराजगी बढ़ रही है। इस मामले में राजस्थान राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाड़ा का कहना है कि भाजपा यह मानकर चल रही है कि राजपूत उनके बंधुआ हैं, लेकिन जैसी स्थितियां बनती जा रही हैं, उसका असर आने वाले चुनाव में निश्चित रूप से पड़ेगा। इसके लिए समाज को जागरूक करना पड़ेगा और यह काम हम कर रहे हैं।

राजपूतो के तीन बड़े आंदोलन 
1. राजमहल प्रकरण- राजपूतों ने पहला आंदोलन पिछले वर्ष जयपुर राजघराने की संपत्ति राजमहल होटल को सरकार द्वारा अधिग्रहित करने के विरोध में किया था। उस समय राजपूतों ने जयपुर राजघराने के समर्थन में बड़ी रैली की और यह मामला केंद्र तक भी पहुंचा। बाद में सरकार को मंत्रियों की एक कमेटी बनानी पड़ी और अंतत: होटल परिसर पर लगाई गई सील भी रातोरात खोली गई, जबकि पहले खुद सरकार के ही मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने साफ कहा था कि जो भी किया गया नियमानुसार किया गया।

2. आनंदपाल एनकाउंटर- इसके बाद दूसरा आंदोलन इसी वर्ष हुआ, जब गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर किया गया। एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राजपूत समुदाय ने 19 दिन तक पूरे प्रदेश में आंदोलन किया। आनदंपाल के गांव सांवराद में बड़ी रैली की गई। यहां हिंसा भी हुई। इस मामले में भी पहले सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने सीबीआई जांच से साफ इनकार कर दिया था और कहा था कि वे जांच का आदेश देकर पुलिस का मनोबल नहीं गिराना चाहते, लेकिन बाद में सरकार को मांग माननी पड़ी और मामला सीबीआई जांच के लिए भेजना पड़ा।

3. पद्मावती प्रकरण- तीसरा आंदोलन हाल में फिल्म पद्मावती पर बैन को लेकर चल रहा है। इस मामले में भी पूरे प्रदेश में राजपूत समुदाय सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहा है। करीब दस दिन से चल रहे इस आंदोलन में भी सरकार के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने शुरुआत में यही कहा था कि जब तक सेंसर बोर्ड फिल्म नहीं देख ले, तब तक यह कोई विषय ही नहीं है, लेकिन अब सरकार को फिल्म पर पाबंदी लगानी पड़ी।

4. अभी आरक्षण बाकी है- इन तीन आंदोलनों के बाद राजपूतों की ओर से आरक्षण को लेकर एक और आंदोलन हो सकता है। राजस्थान में राजपूत लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर पिछले वर्ष एक उग्र प्रदर्शन भी किया जा चुका है और अहम बात यह है कि इस मामले में सरकार के हाथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बंधे हुए हैं। राजस्थान सवर्ण जातियों में आर्थिक पिछड़ों को 14 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पारित हो चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल में आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा करने पर रोक लगा दी है।

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