
उत्तराखंड के लोग अब इलैक्ट्रिक बसों में सफर का आनंद उठा सकेंगे। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना पर सरकार काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को बाहर करने पर भी विचार किया जाएगा। अगर सरकार की ये योजना परवान चढ़ी तो निश्चित तौर पर लोगो को तो सहूलियत मिलेगी, साथ ही प्रदुषण भी कम होगा।
राज्य में फ़िलहाल बसे और विक्रम डीजल से चल रही है, जिससे प्रदुषण फैल रहा है। फिलिपींस की राजधानी मनीला में प्रदूषण नियंत्रण को किए गए कामों का उदाहरण देते हुए परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि इसके लिए जन जागरण जरूरी है। हर व्यक्ति अगर प्रदूषण को लेकर सजग रहेगा तो वातावरण सुरक्षित रहेगा। आर्य ने कहा कि जल्द ही हरिद्वार से देहरादून के लिए गैस पाइपलाइन बिछाई जाएगी। ताकि यहां सीएनजी वाहन शुरू किए जा सकें। प्रदूषण से बचाव के लिए पुराने टू स्ट्रोक विक्रम और बसों के बदले फोर स्ट्रोक इंजन वाले विक्रम और बसें चलाने पर भी सरकार विचार करेगी।
बैटरी से चार्ज होने वाली बेस्ट की उत्तराखंड की सड़कों पर दौड़ेंगी। ये बसें पूरी तरह से इलेक्ट्रिसिटी पर ही चलेंगी और इस वजह से शोर तथा प्रदूषण कम होगा। उत्सर्जन नहीं होने की वजह से इन बसों को पर्यावरण के अनुकूल माना जा रहा है। इन ई-बसों को चलाने पर प्रति किलोमीटर का खर्च सीएनजी के मुकाबले 46 प्रतिशत कम तथा डीजल के मुकाबले 60 प्रतिशत कम आएगा। सीएनजी बस को चलाने में जहां प्रतिकिलोमीटर 15 रुपये तथा डीजल को चलाने में प्रति किलोमीटर 20 रुपये का खर्च आता है, तो वहीं इलेक्ट्रिक बसों को चलाने में प्रति किलोमीटर 8 रुपये का खर्च आएगा।