खड़े होकर पानी पीने से जोड़ाें में दर्द होता है,
पानी पीते समय पानी की स्पीड कम होनी चाहिए,
खाते-पीते समय पॉश्चर सही होना चाहिए.
नई दिल्ली : भाग दौड़ भरी लाइफ में आज कल हम सभी कार्य जल्दी बाजी में करते है और भूल जाते है कि छोटी छोटी भूल से हमारी जान पर बन आती है, इसलिए हमे कभी भी अपनी सेहत के साथ खिलबाड़ नहीं करना चाइए. इसी प्रकार पानी पीने का भी एक तरीका होता है. चौंकिए मत, यह बिलकुल सच है. क्या आपने कभी पानी पीने के सही तरीके के बारे में भी सोचा है?
पानी पीते वक्त हम ज्यादा सोचते नहीं हैं. जब हमें प्यास लगती है तब हम पानी के टेम्परेचर यानी कि ठंडा-गरम देखकर उसे झट से पी लेते हैं. और चलते बनते है लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि में बड़े-बूढ़े अकसर ही कहते हैं कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन हम उनकी इन बातो को हर बार नजरअंदाज करते हैं. लेकिन यही छोटी सी भूल हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तब हमारी नसें तनाव में आ जाती हैं. जिससे शरीर का फाइट सिस्टम एक्टिव हो जाता है और इससे शरीर को किसी खतरे का अंदेशा होने लगता है. आयुर्वेदिक विशेषगयो कि माने तो खड़े होकर पानी पीने का सीधा संबंध पानी पीने की स्पीड से है. पानी खड़े होकर किस स्पीड से पिया जा रहा है इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है.
स्टैंडिंग पेाजिशन में पानी पीने की स्पीड बढ़ जाती है. बस यहीं से अर्थराइटिस और घुटने के दर्द की शुरुआत होती है. उनके अनसुार ऋग वेद में पॉश्चर के बारे में जिक्र किया गया है, जिसके कई मायने हो सकते हैं.
जानकारों के मुताबिक ‘पानी को हवा की तरह धीरे और आराम से पीना चाहिए. जल्दी पानी पीने से विंड पाइप और फूड पाइप में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. इसका सीधा असर दिल और गुर्दे पर पड़ता है. यही नहीं तेजी से पानी पीने के दौरान फूड पाइप में हवा का दबाव बनने लगता है. इससे हड्डिया खराबी तक हो जाती है. जोड़े कमजोर हो जाते हैं और उनमें दर्द होने लगता है. अगर बैठकर भी पानी तेजी से पिया जाए तो भी ये खतरनाक हो सकता है. इसलिए पानी पीने की स्पीड का खयाल रखें. हमेशा धीरे-धीरे आराम से ही पानी पीएं.