
दरसल सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सोशल मिडिया पर किये एक पोस्ट को लेकर लोगों नसीहत का सामना करना पड़ा। हरीश रावत ने सोशल मिडिया पर इशारो ही इशारो में प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष किया और लिखा “हमारे कुछ दोस्तों ने एक राजनेता को ‘फेंकू’ कहा फिर कुछ लोगों ने उन्हें ‘गप्पी भाई’ कहा। ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त पहाड़ी नाम ‘फसक्या’ है, पहचाने ये राजनेता है कौन?
हरीश रावत की फेसबुक एकाउंट से जैसे ही यह पोस्ट हुआ तो लोगों ने तरह-तरह के कमेंट करने शुरु कर दिये। करीब साढे तीन सौ से भी अधिक कामेंट में किसी ने रावत जी की इस भाषा पर ऐतराज जताया तो किसी ने हरीश रावत को ही नसीहत दे डाली। हालांकि रावत समर्थकों द्वारा उनकी इस पोस्ट पर उन्हे डिफेंड भी किया गया और इसे सही बताया। कुल मिलाकर कहे तो इस पोस्ट के बाद रावत समर्थकों और विरोधीयों में एक तरह से बहस छिड़ गयी। जिसमें कई बार भाषा की मर्यादा भी तार—तार होती दिखायी दी।
उत्तराखंड में कुमाउनी भाषा में ‘फसक्या’ का मतलब गप्प मारने वाला इंसान होता है। जिसके बाद लगभग 250 से ज्यादा कमेंट में हरीश रावत को ही लोग नसीहत देते नजर आए। कुछ ने हरीश रावत को ही ‘फसक्या’ कहा तो कुछ ने उनके इस पोस्ट पर निराशा जताते हुए लिखा कि आप जैसे व्यक्ति को ऐसे शब्द नहीं बोलने चाहिए। हालांकि कुछ एक पोस्ट पर हरीश रावत का समर्थन भी हुआ।