यहां मुसलमानों के बिना अधूरी होती है दिवाली,चैकाने वाला सच!

सुनने में अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है कि बिहार के सीतामढ़ी में मुस्लिम समुदाय के हाथों बनाए गए दीपों से दीपावली का जश्न मनाया जाता है और यह परम्परा वर्षों पुरानी है। धार्मिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले सीतामढ़ी जिले में हजारों परिवार ऐसे हैं जिनके घर में दीपावली की पाठ पूजा मुसलमानों के हाथों बनाये गए मिट्टी की पूजन सामग्री से ही संपन्न होता है।


सीतामढ़ी के जिला मुख्यालय डुमरा के पास एक छोटा सा गांव है सिमरा, इस गांव में चाक पर अपना हुनर दिखाने वाले लोगों को न तो किसी धर्म से मतलब है और न ही किसी मजहब से, बस ये कर्म को अपना धर्म मानते हैं और शायद यही वजह है कि पिछले लंबे अरसे से मुस्लिम समाज से आने वाले ये हुनरमंद चाक पर कड़ी मेहनत से हिंदुओं के लिए मिट्टी की पूजा सामग्री का निर्माण करते आ रहे हैं।
इस गांव में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा मिट्टी के बर्तन और पूजा में प्रयोग होने वाली मिट्टी की सामग्री बनाने के कारोबार में पिछले कई वर्षो से लगा हुआ है। यहां से बड़ी तादाद में बनाए गए मिट्टी के दीये सीतामढ़ी और आस पास के जिलो में भेजे जाते हैं। बड़ी बात यह है कि दीपावली का त्योहार इनके द्वारा बनाए गए दीपो के बिना अधूरा है.

 

 

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