

क्या ये प्रजातंत्र है?
क्या नेताओं का यह आचरण सही है?
क्या इस प्रकार एक ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी को प्रताड़ित करना जायज़ है?
आइये पहले जान ले की सफ़ेद शर्ट में खड़े व्यक्ति कौन है जिन्हें नेता जी ऊँगली दिखा रहे है।
ये व्यक्ति देहरादून के जिलाधिकारी श्री एम. ए. मुरुगेशन है। एक ऐसे कुशल प्रशासनिक अधिकारी जिनपर कभी ऊँगली तक नही उठी। एक ऐसे अधिकारी जो जिस भी स्थान पर रहे वहां जनता के नायक सिद्ध हुए।
लघु परिचय –
तमिलनाडु के सेलम जिले एक एक छोटे से गांव में आपका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ।आपके पिता जी एक शिक्षक थे। आपने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, मदुरै से कृषि में स्नातक उपाधि अर्जित की जिसके पश्चात आपने IARI पूसा से ‘Plant Genetics’ में शोध किया। शोध के दौरान ही 2005 में आपका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ और आपको उत्तराखंड भेज दिया गया। उत्तराखंड में आप अनेकों पदों पर कार्यरत रहे और अपनी प्रशासनिक कुशलता से जनता को अपना मुरीद बनाते गये।
आपकी उपलब्धियों की सूची इतनी लंबी है कि उसे सीमित शब्दों में लिख पाना संभव नही परंतु कुछ उपलब्धियों को अवश्य लिख रहा हूँ।
2013 में केदार त्रासदी के बाद आप उन अफसरों में थे जो सर्वप्रथम बचाव कार्यो में जुटे थे। प्रशासनिक कुशलता के कारण हज़ारों जीवन बचाये गये जिस कारण आपको मुख्यमंत्री द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष आपको उत्तराखंड की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा ‘नंदा देवी यात्रा’ की ज़िम्मेदारी दी गयी और आपने अपनी प्रशासनिक कुशलता को पुनः सिद्ध किया। 2015 में आपको हरिद्वार अर्ध कुम्भ की ज़िम्मेदारी दी गयी। सुदूर तमिल नाडु से आये एक अफसर के लिए उत्तराखंड में कुंभ जैसे बड़े आयोजन को सफल कर पाने पर सभी को संशय था परंतु आपने बेमिसाल कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया और हरिद्वार कुम्भ का सफलता से समापन हुआ।
आप जहां भी रहे, जिस पद पर भी रहे अपने उसकी गरिमा पर कभी आंच नही आने दी। आपको ‘जनता का डी. एम ‘ से भी अलंकृत किया जाता रहा है क्योंकि आप सदेव जनता के लिए सुलभ रहते है।
उत्तराखंड को गर्व है कि इस पवित्र देवभूमि को आप जैसे अधिकारी मिले। ये हमारा सौभाग्य है कि आज आप देहरादून के जिलाधिकारी है। कामना करता हूँ ईश्वर आपके सदेव सहयोगी रहे।
अब दोबारा इस चित्र पर लौटता हूँ जिसमे देहरादून के महापौर देहरादून के जिलाधिकारी को ऊँगली दिखा रहे है। महापौर सत्ताधारी बीजेपी से है और वर्तमान में धर्मपुर सीट से विधायक है। राजसरकार की आबकारी नीति शुरू से संदेहास्पद रही है । सरकार ठेके खोलना चाहती है और जनता बन्द करवाना। ऐसे में नेताओं के राजनैतिक पोषण को यदि तवज्जो दे तो नेताओं के लिए यह राजनीती चमकाने का अच्छा मौका है क्योंकि इससे अख़बार में बड़ी खबर लगेगी और हर आरोप/ विफलताएं भूल लोग आपको ANTI SHARAB समझेंगे वो बात अलग है कि हर चुनाव में खुली शराब इन नेताओं के गुर्गे बाँटते है।
जब सरकार शराब के ठेके खुलवा रही है तो एक जिलाधिकारी पर क्यों रौब ग़ालिब किया गया।
मेयर साहब जिसे आप “DEMOCRACY” कह रहे है उसे “DEMAGOGUERY” कहा जाता है।
जिलाधिकारी श्री एम. ए. मुरुगेसन जी के सम्मान की लड़ाई जनता को लड़नी चाहिए। ऐसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर का अपमान क्यों ??
अधिवक्ता अमित आर्य।