इंसानियत का बेमिसाल नमूना, एक छोटे से गॉंव के परिवार ने पेश कर नाबालिग बच्चे को गुमशुदा होने से बचाया……

डांडीपुर मौहल्ले कोतवाली नगर देहरादून में रहने वाले सर्राफा व्यापारी विकास गर्ग के परिवार की नन्ही परी दिव्या रस्तोगी उम्र 12 साल की सुबह काफी तलाश किया, तो कही दिखाई नहीं देने पर परिवार के लोग पुरे शहर में बच्चे को तलाशने लगे किसी जानकार के द्वारा सुबह के समय रेलवे स्टेशन में देखे जाने पर परिवार के माथे पर चिन्ता की लकीर दिखाई देने लगी, हर व्यक्ति द्वारा अपने विभिन्न माध्यम सोशियल मिडिया, व्हाट्सअप, ट्वीटर,पुलिस प्रशासन के माध्य्म से तलाश करनी शुरू कर दी पुलिस के तलाश जारी करने से पहले ही यह नन्ही परी शहर से काफी दूर निकल चुकी थी जो शायद अपनी किस्मत और कुछ जागरूक लोगो की मदद से कुशल ठिकाने पे पहुच चुकी थी,,आइये आपको बताते है यह लड़की कैसे पुलिस ने बरामद की नन्ही बच्ची के बोडिंग स्कूल मे ना जाने की जिद और परिजनों की आशाओं के दबाब में बच्ची सवेरे सवेरे घर वालो को बिना बताये अपने पिग्गी बॉक्स में जमा 500 रुपये और पिकनिक बैग में 02 कपडे रख घर से निकल गयी सुबह 7 बजे की लाहौरी में ऊपर की सीट में लेटकर मोती चूर तक पहुच गयी, ट्रैन में बड़ती भीड़ और संदिग्ध लोगो की पैनी नजर ने बच्चे की घबराहट भी बढ़ानी शुरू कर दी इसी बीच जनपद सहारनपुर थाना नकुड़ ग्राम रण देवा की रहने वाली एक ग्रामीण महिला व् उनकी बेटी मुस्कान शर्मा, चेतना शर्मा को इस बच्ची के कपडे और हुलिये के आधार पर शक होने पर उससे बाते करनी शुरू की तो बच्ची के द्वारा पीलीभीत अपने मामा के पास जाना बताना ,टिकट के बारे में पूछताछ की तो बिना टिकट यात्रा करना भी बताया ।बिना टिकट गलत ट्रैन में बैठ कर भाग जाने की कहानी को समझने में इस परिवार को जरा भी देर नहीं लगी धीरे धीरे दोस्ती बढ़ाते हुये जानकारी करने की कोशिश की तो घुलना मिलना शुरू हो गया ट्रैन में बैठे लोग भी धीरे धीरे भागने का कारण समझ गए इस परिवार का स्टेशन आ जाने पर कुछ समझदार लोगो ने इस बच्ची को इस परिवार के साथ आवश्यक खानापूर्ति कर साथ भेज दिया इस नन्ही बच्ची ने नयी दीदी के साथ जाने की जिद भी करनी शुरू कर दी।इस बच्चे को उसके परिवार से मिलाने की ठान लेने पर यह परिवार इस नन्ही परी को अपने साथ अपने गॉंव ले आये जहाँ आम के बगीचे व् गॉंव के माहौल के बच्चो के साथ खेलते खेलते बातो ही बातो में अपने परिवार के नंबर बता दिये।सुरेंद्र शर्मा के परिवार ने तुरन्त गुमशुदा के परिवार से संपर्क कर सूचना देकर कुशल होने की जानकारी दी जिसे पुलिस द्वारा साथ चल कर गुमशुदा की मुलाकात उसके परिवार से करायी गयी, सारे परिवार ऐसे खुश किस्मत नहीं होते है लेकिन आप की जागरूकता ऐसे बच्चो को उनके परिवार से मिलाने में काफी योगदान दे सकती है । यदि आप को भी इस प्रकार का नाबालिग बच्चा ट्रेन ,बस स्टॉप, आदि स्थानो पर घूमता मिले तो फोटो शेयर करने के साथ साथ पुलिस व् अन्य सामाजिक संस्था के माध्यम या अपने स्वम के प्रयास से मालुमात करने की कोशिश करे।एक नन्ही बच्ची को उसके परिजनों से मिलाने पर भावुक सुख का ऐसा ही आंनद  आप को भी प्राप्त हो सकता है, जैसा आज सुरेंद्र शर्मा के परिवार को महसूस हो रहा है

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