राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय राइफल्स के हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से गुरुवार को सम्मानित किया। उन्होंने पिछले साल जम्मू कश्मीर में अकेले ही तीन आतंकवादियों को मार गिराते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
शांति काल में अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय देने को लेकर सर्वोच्च वीरता पुरस्कार शहीद दादा की पत्नी चासेन लोवांग ने स्वीकार किया। पुरस्कार प्राप्त करने के दौरान वह अपने आंसुओं को रोकने की मशक्कत कर रही थी। शहीद हंगपन दादा की पत्नी चासेंग लोवांग दादा ने कहा, ”मैं आज बहुद दुखी भी हूं और बहुत खुस भी हूं। उन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। देश के अन्य लोगों को भी आर्मी ज्वाइन करनी चाहिए। मेरी पति अभी भी मेरे साथ हैं. मेरे पति हमेशा चाहते थे कि मेरा बेटा भी सेना में जाए।”
गौरतलब है किहंगपन दादा 26 मई को कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। इस हमले में हंगपन दादा के नेतृत्व में 13000 की फीट की ऊंचाई पर 3 आतंकियों को ढेर कर दिया था।
शहीद हंगपन दादा अरुणाचल प्रदेश के बोदुरिया गांव के रहने वाले थे। वे 1997 में आर्मी की असम रेजीमेंट के जरिए आर्मी में शामिल हुए थे।बाद में 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किए गए।
जब बचपन में बचाई थी डूबते दोस्त की जान
हंगपन दादा के बचपन के मित्र सोमहंग लमऱा कहते हैं कि आज मैं जिंदा हूं तो हंगपन दादा की वजह से। उन्होंने बचपन में मुझे पानी में डूबने से बचाया था। हंगपन को फुटबॉल खेलना, दौड़ना सरीखे सभी कामों में जीतना पसंद था।