बिहार में शराबबंदी सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ही नही बल्कि उसके प्रशासन का भी सिरदर्द बन गई है। ये बात और है कि नीतीश इस बात को मानने से इंकार करते है। पर स्थिति ये है कि हर दिन बिहार मुख्यमंत्री और उनके टीम के लिए एक नयी चुनौती बनकर आता है। अब नीतीश कुमार के आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव ने केके पाठक लंबी छुट्टी पर चले गए है। इतना ही नही पाठक ने मुख्यमंत्री से दरख्वास्त की है उनकी जगह नया रिप्लेसमेंट ढूढ़ लिया जाए।
नीतीश राज में प्रशासन एक दूसरे पर गलतियां मढ़ने में व्यस्त है। कोई घटना होती है तो सिर्फ छानबीन की बाते की जाती है और आरोप प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाता है। ऐसे में विभागों में आपस में ताल-मेल बैठाना मुश्किल हो गया है। आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव केके पाठक विभाग के एक अधिकारी की गिरफ्तारी से नाराज हैं. दरअसल उस अधिकारी ने जनता दल (यूनाइटेड) के स्थानीय अध्यक्ष चंद्रदेव कुमार सेन को शराबखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में नालंदा कोर्ट ने अधिकारी को जमानत पर रिहा कर दिया गया. लेकिन इस घटना के बाद विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोई नहीं चाहता कि प्रदेश में शराबबंदी का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो.
संभव तो ये भी है कि विभाग के अधिकारी की भी शराबबंदी उल्लंघन मे भागीदारी हो। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अधिकारी भी शराब के खेल में शामिल हो। और पकड़े जाने या विवाद में फसने के डर से शराबबंदी मामले से दूर रहना चाह रहे हो। फिलहाल राजनीति में कुछ भी होना हमेशा से आश्चर्यपूर्ण होता है। अभी देखना बाकी है कि बिहार में शराबबंदी को खेल कितना और कितना मुश्किल होगा।