आप ने देखा होगा कि फांसी की सजा सुनाने के बाद जज कोर्ट रूम छोड़ते समय जिस पेन से फैसले को लिखते है उस पेन की निब को तोड़ देते हैं। लेकिन आपको पता है कि आखिर ऐसा जज क्यों करते हैं, हम आपको बताते है इसका जवाब
दरअसल, पेन की निब तोड़ना एक सिम्बॉलिक एक्ट है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन के फैसले को जिस पेन से लिख दिया जाता है, उस पेन का दुबारा कभी फिर से प्रयोग न हो, साथ ही ऐसी उम्मीद की जाती है कि कोई भी व्यक्ति इस तरह के जघन्य अपराध न करे। हमारे कानून में फांसी की सज़ा सबसे बड़ी सज़ा होती है, क्योंकि इससे व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है, इसलिए जज इस सज़ा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देते हैं, ताकि उस पेन का इस्तेमाल दोबारा न हो सके। अकसर यह भी माना जाता है कि शायद फैसले से अपने आप को अलग रखने या फैसले को लेकर होने वाले प्रायश्चित या अपराध बोध को लेकर जज पेन की निब तोड़ देते हैं। एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके