कलावा(मौली) बांधने के पीछे का साइंटिफिक लॉजिक

mouliसनातन धर्म में हर धार्मिक अनुष्ठान में कलावा बांधने की वर्षो पुरानी परम्परा है। भारतीय संस्कृति में कलावा यानि मौली बांधने का अत्यधिक महत्व है।  पुराणों के अनुसार, पुरुषों एवं कुंवारी कन्याओं की दाईं कलाई में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित महिलाओं की बाईं कलाई में कलावा बांधने का नियम है। परन्तु क्या आप जानते है की इसे बांधने के पीछे न केवल आध्यात्मिक कारण हैं बल्कि साइंटिफिक लॉजिक भी है। रक्षा के लिए कच्चे सूत का बना लाल-पीला धागा, जिसे कलावा या मौली कहते हैं, काम में लिया जाता है। लाल रंग ताकत या शक्ति का प्रतीक व पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है।

शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है। कलावा बांधने से ब्‍लड प्रेशर, हार्ट डिसीज, डाइबिटीज और लकवा जैसे गंभीर रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है। वैज्ञानिक कहते हैं की कलावा कलाई में बांधने से शरीर में वात, पित्‍त तथा कफ से मुक्‍ित मिलती है, रक्त संचार भी कंट्रोल में रहता है।

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