सावधान! ठंडी और सूखी हवा दे रही बीमारियां, ईएनटी के मरीजों में भारी इजाफा

सावधान! ठंडी और सूखी हवा दे रही बीमारियां, ईएनटी के मरीजों में भारी इजाफा

बिष्ट बोले : अपने ‘एलर्जी ट्रिगर’ को पहचानें, छाती में जकड़न होने पर तुरंत लें डॉक्टरी सलाह।

देहरादून। बदलते मौसम में ठंड, ड्राईनेस और बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरनाक मेल से एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोल्ड वेदर, ड्राई एयर और प्रदूषण का स्तर जब एक साथ बढ़ता है, तो यह नाक, कान, गले और फेफड़ों के लिए गंभीर समस्या बन जाता है। वरिष्ठ चिकित्सक आरएस बिष्ट के अनुसार इन दिनों खासकर अस्थमा और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों में लक्षण ज्यादा उभरकर सामने आ रहे हैं।

आरएस बिष्ट ने बताया कि जब ठंडी और सूखी हवा में प्रदूषण का स्तर 300 के पार पहुंच जाता है, तो यह बेहद खतरनाक कॉम्बिनेशन बन जाता है। ऐसे में एलर्जी रिएक्शन तेजी से बढ़ते हैं और सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों में तकलीफ और गंभीर हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में पहले भी देखा गया है कि नाक-कान-गला (ईएनटी) से जुड़े मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। कई मामलों में नाक से खून आना, गले में इंफेक्शन और छाती से जुड़ी समस्याएं सामने आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि देहरादून घाटी क्षेत्र होने के कारण यहां पराग (पोलन) और एलर्जन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है, जिससे एलर्जिक रिएक्शन का खतरा और बढ़ जाता है। यही वजह है कि एलर्जी, अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

आरएस बिष्ट ने सलाह दी कि लोग ठंड से बचाव करें और शरीर को गर्म रखें। अगर किसी को छाती में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत या किसी तरह का इंफेक्शन महसूस हो तो लापरवाही न करें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। उन्होंने कहा कि एलर्जी से बचाव का सबसे अहम तरीका यह है कि जिस चीज से एलर्जी होती है, उसे पहचानकर उससे दूरी बनाई जाए। हर व्यक्ति की एलर्जी अलग होती है, इसलिए अपने ट्रिगर को जानना जरूरी है।

उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को धूल, धुआं या ठंडी हवा से परेशानी होती है, वे बाहर निकलते समय मुंह और नाक को ढककर रखें और ठंड से उचित सुरक्षा करें। समय पर सावधानी और सही इलाज से इन मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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