Punjab Flood: साहूवाल में चार फीट तक पानी, जलभराव में फंसे लोग l

अमृतसर: Punjab का सीमांत गांव साहूवाल इन दिनों बाढ़ की मार से जूझ रहा है। गांव में जगह-जगह चार-चार फीट तक पानी भर गया है। घरों और गलियों में जलभराव से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।floodअमृतसर (Punjab ): अजनाला ब्लॉक का सीमांत गांव साहूवाल इन दिनों बाढ़ की मार झेल रहा है। पूरा गांव चार-चार फीट पानी में डूबा हुआ है। हालात इतने दयनीय हैं कि लोग कई दिनों से पानी में ही रहने को मजबूर हैं।

बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त

गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण जसपाल सिंह, हरदीप सिंह, मंगा सिंह और हरजिंदर बताते हैं कि पानी का स्तर भले ही थोड़ा घटा है, लेकिन बुखार और संक्रमण की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। प्रशासन की टीमों ने मेडिकल किटें तो बांटी हैं, लेकिन जांच और इलाज की पूरी सुविधा न होने से लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

मवेशियों पर आफत

गांव के लोग अपने पशुओं को लेकर भी बेहद चिंतित हैं। चारे की कमी से मवेशी भूखे हैं और पानी में लगातार खड़े रहने से उनके पैरों में संक्रमण फैल रहा है। अब तक चार ग्रामीणों को सर्पदंश का शिकार होना पड़ा, हालांकि समय रहते इलाज मिलने से उनकी जान बचाई जा सकी। ग्रामीण कहते हैं कि अगर पानी ऐसे ही रहा तो पशुधन को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।

राहत सामग्री पर उठे सवाल

ग्रामीणों का आरोप है कि राहत सामग्री सही लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। कई जरूरतमंद परिवार अभी भी वंचित हैं, जबकि जिनको तत्काल मदद की जरूरत नहीं थी, उनके पास राशन और सामग्री पहुंच गई। इससे गांव में असंतोष का माहौल है।

आपदा में चोरी की घटनाएं

बाढ़ के बीच गांव में अपराधी तत्व भी सक्रिय हो गए हैं। अब तक तीन-चार घरों में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब वे सुरक्षित ठिकानों पर गए, तो असामाजिक तत्वों ने घरों में सेंधमारी कर नुकसान पहुंचाया।

फसल पूरी तरह तबाह

साहूवाल गांव का मुख्य सहारा खेती है, लेकिन बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। खड़ी फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किसान कहते हैं कि यह नुकसान केवल मौसमी नहीं, बल्कि आने वाले महीनों की रोज़ी-रोटी पर भी भारी पड़ेगा। उनकी मांग है कि सरकार उन्हें मुआवजा दे ताकि वे फिर से खेती शुरू कर सकें।

प्रशासन और सेना जुटी मदद में

प्रशासन, BSF, सेना, NDRF और कई एनजीओ लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है और मेडिकल टीमें लगातार दौरे कर रही हैं। लेकिन ग्रामीण मानते हैं कि यह मदद फिलहाल नाकाफी है और उन्हें पुनर्वास व पुनर्निर्माण के लिए दीर्घकालिक सहयोग चाहिए।

सरकार से उम्मीद

गांव के लोग सरकार से विशेष सहायता की उम्मीद कर रहे हैं। टूटी-फूटी झोपड़ियां, बीमार पशु और बर्बाद फसलें—इन सबके बीच ग्रामीणों की मांग है कि मुआवजा और राहत सामग्री के वितरण में पारदर्शिता हो। साथ ही पुनर्निर्माण और आजीविका बहाली में उन्हें सीधी मदद दी जाए।

356 लोगों की आबादी वाला यह सीमांत गांव आज बाढ़ के बाद अपनी सबसे कठिन घड़ी से गुजर रहा है।

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