नैनीताल : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मामला अब नैनीताल हाईकोर्ट की टेबल पर पहुंच चुका है। खासकर ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के प्रावधान को चुनौती दी गई है। मामले पर आज मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर 6 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।
याचिका में उठाए गए प्रमुख मुद्दे:
भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में यूसीसी के विभिन्न प्रावधानों को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। याचिका में खासकर ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ के प्रावधानों को असंवैधानिक ठहराया गया है। सुरेश सिंह नेगी का आरोप है कि लिव-इन रिलेशनशिप के तहत, शादी के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित की जाती है, लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप में दोनों की उम्र 18 साल तय की गई है। इसके साथ ही, लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को कानूनी बच्चे मानने का भी विरोध किया गया है।
इसके अलावा, देहरादून निवासी एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने भी हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर यूसीसी के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाजों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।
लिव-इन रिलेशनशिप के परिणाम:
याचिकाकर्ता ने लिव-इन रिलेशनशिप के गंभीर परिणामों की आशंका जताई है। उनका कहना है कि भविष्य में लोग शादी के बजाय लिव-इन रिलेशनशिप में रहना पसंद करेंगे, क्योंकि इसमें पार्टनर से छुटकारा पाने के लिए कोई न्यायिक प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ती। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में किसी एक पक्ष को छोड़ना आसान है, जबकि साधारण विवाह में तलाक लेने के लिए एक लंबी और कठिन न्यायिक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया है कि अगर लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया, तो जुर्माना या सजा का प्रावधान है, जो इसे एक वैध शादी की तरह ही देखे जाने की ओर इशारा करता है।
कोर्ट का आदेश:
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से 6 हफ्ते के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है, जिसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
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