महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के संदिग्ध मरीजों की संख्या तेजी से बढ़कर 192 हो गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मरीजों में से 167 में सिंड्रोम की पुष्टि हुई है, जबकि इस बीमारी से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। सोमवार को पुणे में 37 वर्षीय युवक की मृत्यु हो गई। वर्तमान में, 48 मरीज ICU में भर्ती हैं, जिनमें से 21 को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है।
दूषित पानी से फैल रहा संक्रमण
नांदेड़ में हुई जांच के बाद यह सामने आया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों का मुख्य कारण दूषित पानी हो सकता है। यहाँ के पानी में कैंपिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पाया गया, जो इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके बाद, पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाके में 30 पानी के प्लांट्स को सील कर दिया है।
अन्य राज्यों में भी बढ़ रहे मामले
महाराष्ट्र के अलावा, तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी GBS के मामले सामने आए हैं। असम में एक 17 वर्षीय लड़की की मौत हो गई, जबकि पश्चिम बंगाल में 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दो बच्चे शामिल हैं।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ ऑटोइम्यून विकार है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, और गंभीर मामलों में लकवा हो सकता है। यह बीमारी आमतौर पर बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से होती है।
रोकथाम और नियंत्रण
अधिकारियों ने सलाह दी है कि लोग स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें और स्वच्छता बनाए रखें। यदि कोई व्यक्ति कमजोरी या लकवा जैसे लक्षण महसूस करता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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