देहरादून – सरकार ने अपनी नई आवास नीति में कुछ सख्त प्रावधान किए हैं जिनसे आवास आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने का उद्देश्य है। अब आवास प्राप्त करने के बाद लाभार्थियों को पांच साल तक उस आवास को बेचने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, आवास की चाभी मिलने के तीन माह के भीतर अगर गृह प्रवेश नहीं किया गया तो आवास को अन्य पात्र व्यक्ति को आवंटित कर दिया जाएगा।
आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लिए आवास आवंटन में भी कुछ कड़े नियम लागू किए गए हैं। अब, जहां तक संभव होगा, आवास को परिवार की महिला सदस्य के नाम पर आवंटित किया जाएगा। साथ ही, आवास का पजेशन प्राप्त करने के तीन माह के भीतर अगर गृह प्रवेश नहीं किया गया, तो लाभार्थी का आवंटन रद्द कर उसे प्रतीक्षा सूची के लाभार्थी को दे दिया जाएगा।
यदि लाभार्थी ने विक्रय अनुबंध के पांच साल के दौरान आवास को बेचने का प्रयास किया तो आवंटन रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही, उस आवास के मूल्य का निर्धारण सर्किल रेट और डेप्रिसिएशन फार्मूले के आधार पर किया जाएगा और उसे प्रतीक्षा सूची के लाभार्थी को फिर से आवंटित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, अगर लाभार्थी बैंक लोन का भुगतान नहीं कर पाएंगे, तो उनका आवास नीलाम किया जा सकता है। नीलामी में पात्र व्यक्ति को आवास दिया जाएगा, और नीलामी से प्राप्त पैसे से सभी देनदारियां चुकता की जाएंगी। यदि कुछ राशि बचती है, तो वह पूर्व लाभार्थी को वापस की जाएगी।
नई नीति के तहत हर लाभार्थी को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का सदस्य भी बनना होगा।
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