मुंबई – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने तीन दिनों तक चली बैठक के बाद फैसला किया है कि रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा जाएगा। यह निर्णय 4-2 के बहुमत से लिया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह फैसला मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों द्वारा लिया गया और इसका मुख्य उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना है।
दास ने कहा कि फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि आरबीआई का रुख तटस्थ बना हुआ है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में कोई भी निर्णय व्यापक आर्थिक आंकड़ों पर आधारित होगा।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है। यह बदलाव जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के 5.4% रहने के कारण किया गया है। हालांकि, दास ने यह भी कहा कि अब अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत समाप्त हो गए हैं और उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रह सकती है, लेकिन रबी उत्पादन से इसमें राहत मिलेगी।
आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों की स्थिति को मजबूत बताया और कहा कि बैंक और एनबीएफसी के वित्तीय मापदंड अच्छे बने हुए हैं। दास ने भारतीय रुपये की स्थिरता का भी उल्लेख किया, जो उभरते बाजारों के समकक्षों के मुकाबले कम अस्थिर रहा है।
इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% करने का निर्णय लिया है, जिससे बैंकों के पास अधिक धन होगा और वे अधिक ऋण देने में सक्षम होंगे।
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