नई दिल्ली – सोशल मीडिया आजकल युवा पीढ़ी की जीवनशैली का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसका बढ़ता प्रभाव चिंताएं भी पैदा कर रहा है। न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर की सरकारें सोशल मीडिया के हानिकारक प्रभावों को लेकर गंभीर हो गई हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया है। भारत में भी स्थिति विकट होती जा रही है, जहां सोशल मीडिया पर न सिर्फ युवा पीढ़ी की लत बढ़ रही है, बल्कि अश्लीलता और अनुचित सामग्री की समस्या भी बढ़ रही है।
भारत में सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लील सामग्री पर अब केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश की संस्कृति और समाज को ध्यान में रखते हुए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और अनुचित सामग्री के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है। उनका कहना था, “हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति में बहुत फर्क है, जहां से ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आते हैं। इसलिए मैं चाहता हूं कि संसद की स्थायी समिति इस मुद्दे पर विचार करे और इसके लिए सख्त कानून बनाए जाएं।”
मंत्री ने यह बयान भारत की सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए दिया, जहां सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री का बढ़ता प्रसार समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री का कहना था कि हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुशासन लाने की जरूरत है, ताकि ये प्लेटफॉर्म्स भारत के सांस्कृतिक और कानूनी ढांचे के अनुरूप काम कर सकें।
लोकसभा में अपनी टिप्पणी में, अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री रोकने के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहले संपादकीय जांच होती थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, और सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मंच बन गया है, जहां अनियंत्रित रूप से अश्लील सामग्री का प्रसार हो रहा है।
इस मुद्दे पर भाजपा सांसद अरुण गोविल ने भी सवाल उठाया था कि क्या मौजूदा तंत्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और यौन सामग्री के प्रसारण को रोकने में प्रभावी है। गोविल ने पूछा कि क्या सरकार इस पर कानूनों को और सख्त करने की योजना बना रही है।
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