नई दिल्ली – इज़रायल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौता हुआ है, जो बुधवार तड़के से प्रभावी हो गया है। यह समझौता अमेरिका के मध्यस्थता से हुआ है और इसके तहत दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस समझौते की घोषणा करते हुए बताया कि यह समझौता दो महीने तक लागू रहेगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को राहत मिल सकेगी।
समझौते की प्रमुख शर्तें
इस युद्ध विराम के अंतर्गत हिजबुल्लाह के लड़ाकों को दक्षिणी लेबनान से करीब 40 किलोमीटर पीछे हटने का आदेश दिया गया है, वहीं इज़रायल की सेना को लेबनान के इलाके से पूरी तरह बाहर निकलना होगा। इस समझौते की निगरानी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समूह गठित किया गया है, जिसमें अमेरिका और फ्रांस का सहयोग शामिल है। इसके अलावा, हिजबुल्लाह के हथियारों और गोला-बारूद को हटाने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित की जाएगी, और क्षेत्र की सुरक्षा लेबनान की सेना के हाथों में रहेगी।
लंबे समय से जारी तनाव को कम करने की उम्मीद
यह समझौता पिछले 13 महीने से जारी तनाव को शांत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस साल सितंबर में दोनों पक्षों के बीच संघर्ष ने युद्ध का रूप ले लिया था। अब इस समझौते के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के नागरिकों को शांति का अवसर मिलेगा और वे अपने घरों को लौट सकेंगे।
इज़रायल और हिजबुल्लाह की प्रतिक्रिया
इज़रायल की सुरक्षा समिति ने इस समझौते को 10-1 के बहुमत से मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी मध्यस्थता की सराहना करते हुए कहा कि इज़रायल अपने सुरक्षा अधिकारों को बरकरार रखेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिजबुल्लाह इस समझौते का उल्लंघन करता है या अपने हथियार फिर से जुटाता है, तो इज़रायल को सैन्य कार्रवाई का पूरा अधिकार होगा।
लेबनान की सेना और अंतरराष्ट्रीय निगरानी
समझौते के तहत लेबनान की सेना को दक्षिणी क्षेत्र में लगभग 5,000 सैनिक तैनात करने होंगे। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना और एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति इस समझौते की निगरानी करेंगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अगर युद्ध विराम का उल्लंघन होता है तो लेबनानी सैनिक हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेंगे या नहीं।
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