देहरादून – राज्य के बुग्यालों (हरे घास के मैदानों) के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विभाग एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करेगा, ताकि बुग्यालों में बढ़ते भूस्खलन और भू-धंसाव को रोका जा सके। दयारा बुग्याल सहित अन्य बुग्यालों के संरक्षण के लिए यह निर्णय लिया गया है। वन विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि राज्य हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
राज्य के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन और भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने रविवार को इस बारे में पत्रकार वार्ता की। डॉ. मोहन ने बताया कि दयारा बुग्याल पारिस्थितिकी के लिहाज से महत्वपूर्ण है, और यहां किए गए पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना कार्यों से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बुग्यालों में भूस्खलन और भू-धंसाव से निपटने के लिए जियो-जूट का इस्तेमाल किया जाएगा।
धर्म सिंह मीणा ने बताया कि बुग्याल संरक्षण योजना के तहत अब तक 22 बुग्यालों में लगभग 83 हेक्टेयर क्षेत्र में काम किया गया है। उन्होंने कहा कि जैविक दबाव को कम करने के लिए जल्द ही एक एसओपी तैयार की जाएगी।
इसके अलावा, पीसीसीएफ ने फायर सीजन से पहले वनाग्नि नियंत्रण के लिए तैयारी शुरू करने की भी बात कही। इस संदर्भ में अमर उजाला ने 18 नवंबर को प्रकाशित रिपोर्ट में बुग्यालों में हो रहे भूस्खलन और भू-धंसाव पर चिंता जताई थी, जिसके बाद वन विभाग ने कार्रवाई की है।
साथ ही, वन विभाग ने हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र के निर्माण को लेकर भी सकारात्मक खबर दी। गंगोत्री के निकट लंका में निर्माणाधीन इस केंद्र का निरीक्षण किया गया है, और उम्मीद जताई गई है कि एक साल के भीतर यह केंद्र तैयार हो जाएगा। यह केंद्र क्षेत्र के अद्भुत प्राकृतिक वातावरण से पर्यटकों को परिचित कराएगा।
गंगोत्री नेशनल पार्क को लेकर पीसीसीएफ ने कहा कि यह अब ट्रांस हिमालयन नेशनल पार्क के रूप में उभरकर सामने आया है। यहां हिम तेंदुओं की संख्या बढ़ी है, और अब पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है, विशेषकर नेलांग घाटी में सफारी के लिए।
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