नई दिल्ली – दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी में छठ पूजा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने यमुना नदी के तट पर छठ पूजा आयोजित करने के लिए दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज करते हुए सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि यमुना के किनारे पूजा करने के लिए उचित और निर्धारित स्थानों पर ही पूजा की जा सकती है।
कोर्ट ने उठाया प्रदूषण का मुद्दा
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर बेहद उच्च है और यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि जहरीले पानी में नहाने से लोग बीमार पड़ सकते हैं। इस तरह के स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए यमुना नदी के किनारे पूजा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
छठ पूजा के लिए वैकल्पिक स्थानों का किया गया इंतजाम
दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के आयोजन के लिए 1000 से अधिक घाटों पर टेंट, लाइटिंग, सफाई और सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इसके अलावा, बहुत से घाटों पर मैथली-भोजपुरी अकादमी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है, ताकि श्रद्धालु खुशी और उल्लास के साथ आस्था का महापर्व मना सकें।
सरकार की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में छठ पूजा करने का अवसर मिले, जिससे वे बिना किसी चिंता के इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग ले सकें।
यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति
यमुना नदी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन चुकी है। विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, यमुना में नालों से प्रदूषित पानी, प्लास्टिक कचरा और रासायनिक तत्व मिलते हैं, जो इसे जीवन के लिए खतरे में डालते हैं। ऐसे में अदालत का यह आदेश प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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