देहरादून – उत्तराखंड सरकार ने पलायन की समस्या से निपटने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पर्यटन एवं पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि सरकार ने निर्जन गांवों को फिर से जीवंत बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ गांवों को गोद लेने की योजना बनाई है।
निर्जन गांवों की संख्या
राज्य में वर्तमान में 1726 गांव पूरी तरह से निर्जन हो चुके हैं, जिसमें पौड़ी जिले में सबसे अधिक 519 गांव शामिल हैं। इसके अलावा, अल्मोड़ा में 163, बागेश्वर में 144 और टिहरी में 154 गांव भी खाली पड़े हैं।
सरकार की योजना
सरकार का उद्देश्य इन गांवों को होम स्टे कम होटल के रूप में विकसित करना है, ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। इस प्रक्रिया में पारंपरिक पहाड़ी शैली के भवनों का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिसमें आधुनिक सुविधाएं भी होंगी। प्रवासियों की सहमति और भूमि की लीज के विकल्पों पर काम चल रहा है।
पलायन निवारण आयोग की रिपोर्ट
पलायन निवारण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच 24 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। ऐसे में, सरकार पहले चरण में हिमालय से जुड़े कुछ खास गांवों को गोद लेकर पुनर्जीवित करने की योजना बना रही है।
समाज के लिए महत्वपूर्ण कदम
इस योजना का मुख्य उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है, बल्कि गांवों में रौनक लौटाना और पलायन को रोकना भी है। अगर यह पहल सफल होती है, तो उत्तराखंड के निर्जन गांवों को नया जीवन मिलेगा और स्थानीय समुदाय को भी लाभ होगा।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। सरकार की इस योजना से उम्मीद की जा रही है कि पर्यटन के माध्यम से गांवों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और पलायन की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा।
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